Barhi Assembly Seat: बरही में पिछले 4 चुनावों में 3 बार जीती कांग्रेस, इस बार सपा ने त्रिकोणीय कर दिया मुकाबला
Barhi Vidhan Sabha Seat: कांग्रेस ने अपने सिटिंग विधायक उमाशंकर अकेला का टिकट काटकर अरुण साहू को मैदान में उतारा है, जबकि बीजेपी ने चार विधायक के रहे मनोज यादव को टिकट दिया है. वहीं उमाशंकर अकेला ने टिकट कटने पर समाजवादी पार्टी ज्वाइन कर ली है और सपा की टिकट पर मैदान में हैं.
Barhi Assembly Seat Profile: हजारीबाग की बरही विधानसभा सीट पर पहले चरण में 13 नवंबर को वोटिंग होगी. सामान्य श्रेणी की इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा देखने को मिलता रहा है. पिछले 4 चुनावों में 3 बार कांग्रेस प्रत्याशी को जीत मिली थी. हालांकि, इस बार कांग्रेस की राह आसान नहीं है. उसे बीजेपी के साथ-साथ इंडिया ब्लॉक में शामिल समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार का भी सामना करना होगा. इंडिया ब्लॉक में यह सीट कांग्रेस के खाते में आई है और पार्टी ने अपने सिटिंग विधायक उमाशंकर अकेला का टिकट काटकर अरुण साहू को मैदान में उतारा है. इससे नाराज उमाशंकर ने कांग्रेस का हाथ छोड़कर समाजवादी पार्टी की साइकिल की सवारी कर ली है. वह सपा की टिकट पर ताल ठोंक रहे हैं. वहीं बीजेपी ने चार विधायक के रहे मनोज यादव को टिकट दिया है. सपा उम्मीदवार के आने से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है.
2019 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो बरही विधानसभा सीट से कुल 14 उम्मीदवारों ने भाग्य आजमाया था. इसमें 2 महिला भी थीं. इस चुनाव में कांग्रेस के उमाशंकर अकेला को जीत हासिल हुई थी. उनको 46.78 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 84 हजार 358 वोट मिले थे. जबकि उनके खिलाफ चुनाव लड़ रहे भारतीय जनता पार्टी के मनोज कुमार यादव को 40.48 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 72 हजार 987 मत हासिल हुए थे. 2014 में मनोज कुमार यादव ने कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी. उस वक्त उमाशंकर अकेला बीजेपी से मैदान में थे. तब मनोज यादव को 57 हजार 818 वोट, जबकि उमाशंकर अकेला को 50 हजार 733 वोट मिले थे.
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चुनावी समीकरण की बात की जाए तो यादव वोट यहां निर्णायक माना जाता है. मनोज यादव और उमाशंकर अकेला यादव इसी समाज से आते हैं. ऐसे में वोट का बंटवारा भी इन दोनों के बीच ही होने का अनुमान है. बरही में कांग्रेस का भी अपना जनाधार रहा है. अल्पसंख्यक समाज के मतदाता कांग्रेस के साथ हमेशा रहे हैं. साथ ही यहां साहू समाज का भी अच्छा वोट है. वहीं तिलेश्वर साहू और साबी देवी का अपना वोट बैंक है.भारतीय जनता पार्टी से रुष्ट होकर सुनील साहू चुनावी मैदान में है. ऐसे में उनके लिए भी संभावना है.
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