Dabur Brand Exposed: शहद एक नेचुरली मीठा पदार्थ (स्वीट सब्स्टेन्स) है जो मधुमक्खियों द्वारा निर्मित होता है. आर्युवेद में शहद को अमृत समान बताया गया है. आर्युवेद के हिसाब से शहद से बहुत सी खतरनाक बीमारियों का इलाज किया जा सकता है. शहद के नियमित सेवन से शरीर में एनर्जी का प्रवाह होता है और शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता भी विकसित होती है. शहद के गुणों को देखते हुए भारत में तो नवजात बच्चे को भी अन्नप्रासन में शहद चटाने की पुरानी परंपरा है. हालांकि, शहद में HMF (हाईड्रॉक्सी मिथाइल फरफ्यूरल) की मात्रा अधिक होने पर शहद जहर के समान हो जाता है. अब सवाल ये है कि HMF होता क्या है और शहद में इसकी मात्रा कितनी होनी चाहिए?


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HMF एक ऑर्गेनिक कंपाउंड है जो कुछ मात्रा में मीठी चीजों में पाया जाता है. शहद में HMF का लेवल उसकी ताजगी का संकेत देता है लेकिन इसकी ज्यादा मात्रा शहद को जहरीला कर सकती है. शुद्ध और ताजा शहद में इसकी मात्रा 15 मिलीग्राम तक होती है. अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार शहद में इसकी मात्रा प्रति किलो 40 मिलीग्राम से अधिक नहीं होनी चाहिए. बहुत ज्यादा गर्म इलाकों में बनने वाले शहद के लिए यह मात्रा प्रति किलो 80 मिलीग्राम होनी चाहिए.


कई शोध में ये पता चला है कि इंसान रोजाना 30 से 150 मिलीग्राम एचएमएफ ही पचा सकता है. इससे अधिक मात्रा में सेवन से कैंसर हो सकता है. यह आंतों, लिवर और किडनी को बहुत नुकसान पहुंचा सकता है. यह नियो प्लास्टिसिटी पैदा कर सकता है, मतलब यह शरीर के हेल्दी सेल को ट्यूमर वाले सेल में बदल सकता है. इतना ही नहीं इससे ज्यादा HMF का सेवन करने से ये आपके DNA को भी नुकसान पहुंचा सकता है.


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देश में FSSAI ने शहद की शुद्धता के लिए कुछ पैरामीटर्स तय किए गए हैं. इन पैरामीटर्स पर खरा उतरने पर शहद को शुद्ध माना जाता है. शहद की बढ़ती मांग और अधिक लाभ कमाने के चक्कर में आज के समय शुद्ध शहद मिलना बहुत कठिन है. मिलावटी शहद बेचने की खबरें अक्सर सामने आती रहती हैं. देश में शहद का लैब टेस्ट कराना बेहद खर्चीला और मुश्किल है, इसलिए शहद बेचने वाली कंपनियां ज्यादातर मानकों का ख्याल नहीं रखती हैं. देश में शहद बेचने वाली कई कंपनियां हैं, जो खुद को देश ही नहीं बल्कि दुनिया का नंबर वन ब्रांड बताती हैं. वह भी इन मानकों का ख्याल नहीं रख रही हैं.


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जी न्यूज ने जब देश के कुछ नामचीन ब्रांड्स के शहद का लैब टेस्ट कराया तो उसमें डॉबर जैसा ब्रांड भी फेल हो गया. लैब टेस्ट की रिपोर्ट से पता चला कि डॉबर कंपनी के शहद में एचएमएफ की मात्रा 176.57 मिलीग्राम मिली जो किसी भी हालत में 80 मिलीग्राम से अधिक नहीं होनी चाहिए. डॉबर के ही दूसरे सैंपल में इसकी मात्रा 97.250 मिलीग्राम मिली. एक अन्य ब्रांड श्रीजी हनी का सैंपल टेस्ट में फेल हो गया. उसमें एचएमएफ की मात्रा 135.16 मिलीग्राम मिली. इसका मतलब यह हुआ कि तीनों ही सैंपल शुद्धता की कसौटी पर खरे नहीं उतरे.