Dhanbad News: झारखंड की हेमंत सरकार द्वारा प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के लिए तमाम प्रयास किया जा रहा है, लेकिन सरकारी डॉक्टर बट्टा लगाने में लगे हैं. ताजा मामला धनबाद के स्वास्थ्य केंद्र से सामने आया है. यहां के महुदा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में डॉक्टर नहीं रहने के कारण दूर दराज से आने वाले मरीजों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. कई मरीजों को मजबूरन निजी अस्पतालों में भर्ती होना पड़ता है. स्थानीय लोगों का कहना है कि अस्पताल में सिर्फ एक से दो डॉक्टर ही तैनात हैं और वो डॉक्टर भी अपनी मर्जी से अस्पताल आते हैं. वह सिर्फ एक से 2 घंटे ही काम करते हैं, इसके कारण मरीजों का सही से इलाज नहीं हो पाता है.


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डॉक्टरों के इस रवैये से बुजुर्ग और महिला मरीजों को सबसे ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. बता दें कि ग्रामीण क्षेत्रों में खुले प्राथमिक केंद्रों की स्थिति यह है कि कई स्वास्थ्य केंद्रों में डॉक्टर नहीं है. जिससे ग्रामीणों को स्वास्थ्य केंद्रों से स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है. वे अधिक रुपए खर्च कर शहर में इलाज कराने जा रहे हैं.  डॉक्टरों की कमी होने पर अस्पताल की जिम्मेदारी कंपाउडर, एएनएम या एमपीडब्ल्यू संभालते हैं. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में अमूमन 5 लोगों का स्टाफ होता है, जिसमें एक डॉक्टर, एक कंपाउंडर, नर्स, एएनएम कार्यकर्ता और एक वार्ड ब्वॉय रहता है. स्वास्थ्य केंद्रों में पर्याप्त डॉक्टरों की पदस्थी न हो पाने से ग्रामीणों को समय पर इलाज नहीं मिल रहा है. जिसके लिए मरीजों को इलाज कराने के लिए बाघमारा या जिला मुख्यालय धनबाद जाना पड़ता हैं. 


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दूसरी ओर झारखंड सरकार ने अब खराब परफॉर्मेंस वाले वैसे सरकारी अस्पताल, जो पांच सालों से स्वास्थ्य सेवाएं नहीं दे रहे हैं, उनपर शिकंजा कसने का प्लान बनाया है. सरकार की ओर से ऐसे अस्पतालों को चिह्नित कर वहां की सेवाओं को दुरुस्त किया जाएगा. वहीं जो लापरवाह कर्मी व चिकित्सक हैं, उन पर कार्रवाई होगी. ये बातें झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने बताईं. बन्ना गुप्ता ने कहा कि गरीबों को उनके गांव/पंचायत में ही सस्ती दवा उपलब्ध हो, इसके लिए सरकार ह पंचायत में दवा दुकान खोल रही है. सरकार की कोशिश होगी कि इन दवा दुकानों में जेनरिक दवाएं उपलब्ध रहे. 


रिपोर्ट- नीतेश कुमार मिश्रा