रांची: Rugda Health Benefit: सावन के महीने में बिहार-झारखंड के ज्यादातर लोग मांसाहारी भोजन का सेवन करना बंद कर देते हैं.  लेकिन आज हम आपको एक ऐसी सब्जी के बारे में बताने वाले हैं, जिसको खाने के बाद मांसाहारी भोजन खाने के बारे में सोचेंगे भी नहीं. जिसका इंतजार झारखंड की राजधानी रांची ही नहीं बल्कि पूरा झारखंड पूरे साल करता है. ऐसा इसलिए क्योंकि ये सब्जी साल में मात्र 2 महीने ही पाया जाता है. इस सब्जी का नाम रूगड़ा है. फिलहाल बाजार में इसकी कीमत 600 से 1000 रुपए किलो तक हैं. ये सब्जी रांची के आसपास के जंगलों में साल वृक्ष के नीचे पाया जाता है. रूगड़ा की सब्जी बरसात के मौसम में साल वृक्ष के नीचे उसके जड़ों के पास पाया जाता है. गांव की महिलाएं जिसे चुनकर शहर में बेचने के लिए आती है.


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रूगड़ा के बारे कहा जाता है कि बारिश जब शुरू होती है तो शुरुआती बारिश के समय ही ये सखुआ के जंगलों में मिलने लगता है. इसे पहचानने के लिए जमीन पर ध्यान से देखने पर थोड़ी थोड़ी दूर पर जमीन हल्की सी उठी नजर आएगी.जिससे डंठल से खोदने पर वहां रुगड़ा मिलता है.मुंडारी भाषा में इसे पुट्टू भी कहा जाता है.  रूगड़ा में उच्च स्तर के प्रोटीन और विटामिन पाए जाते हैं. इसमें खासतौर पर विटामिन B3 , विटामिन B12, विटामिन बी, विटामिन सी, फोलिक एसिड, कैल्शियम, फॉस्फोरस, पोटेशियम, जिंक, आयरन ,ओमेगा 3 फैटी एसिड पाई जाती है. जो दिमाग से लेकर बॉडी के हर अंग के लिए जरूरी होती है.


रूगड़ा को आदिवासी समाज में काफी पसंद किया जाता है. बरसात के मौसम में शायद ही कोई ऐसा दिन होता है जब उनके घर रूगड़ा ना बनता हो. रूगड़ा की खासियत ये कि इसमें कई पोषक तत्व काफी मात्रा पाया जाता है और कई बीमारियों में भी ये काफी लाभकारी साबित होता है. बरसात के मौसम में हल्की सर्दी खांसी होने पर अगर इसके सेवन करने से ठीक हो जाता है. इसके अलावा रूगड़ा कैंसर और पेट की बीमारी में भी आराम पहुंचाता है. साथ ही थकान या शरीर में कमजोरी होने पर इसका सेवन करने से काफी फायदा मिलता है. रुगड़ा दो तरह का होता है एक सफेद और एक काला. बारिश का जैसे जैसे सीजन खत्म होने लगता है, वैसे ही काला रुगड़ा बूढ़ा होने लगता है. बरसात के पहले और मध्यकाल में इसकी मांग ज्यादा होती है.


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