कामरान जलीली/रांचीः राजधानी रांची में लगातार हो रहे जमीन विवाद माटी के रंग को लाल करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है. जमीन और खून का कुछ ऐसा नाता है की आये दिन शहर लाल हो जाता है और फिर पुलिस हाथ मलती नजर आती है. कुछ ऐसी ही वारदात से डोरंडा के घाघरा इलाके में हुई. सूचना और अनहोनी की आशंका के बावजूद पुलिस के उदासीन रवैये से घाघरा सहम उठा.इलाके में जमीन का खूनी खेल चरम पर है और पुलिस घटना के बाद अनुसंधान में जुटी है.


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दरअसल, 28 दिसंबर को डोरंडा के घाघरा इलाके में ही अरुण किस्पोट्टा नामक युवक की गोली मारकर हत्या कर दी जाती है लेकिन 10 दिन बाद भी पुलिस के हांथ खाली है, तो वहीं 8 जनवरी को एक बार फिर गोलियों की तड़तड़ाहट जमीन विवाद में चली है. अपराधियों ने गोली मारकर सामु उरांव नाम के व्यक्ति की हत्या कर दी. जबकि शंकर सुरेश उरांव नाम का व्यक्ति गम्भीर रूप से घायल हो गया. इस गोलीबारी की घटना के पीछे भी जमीन विवाद अहम वजह मानी जा रही है.


स्थानीय लोग जो इस तरह की घटनाओं से एक तरफ जहां भय में हैं साथ ही आक्रोशित भी है. उनका कहना है कि आदिवासी समाज की सार्वजनिक जमीन जिसपर भू माफियाओं की नज़र पड़ गयी है इस वजह से ये घटनाएं बदस्तूर हो रही हैं, वहीं उनकी माने तो इस अनहोनी की जानकारी लोकायुक्त के साथ साथ सभी विभागों को दी गयी है लेकिन नतीजा सिफर जिस वजह से अपराधियों का मनोबल बढ़ा हुआ है.


परिजनों की माने तो सड़क पर शराब की दुकान है. जहां असामाजिक तत्वों का अड्डा बना रहता है और आये दिन इस तरह की वारदात होती है. जिस कारण घटनाएं होती हैं. 


मामले पर पुलिस का कहना है कि आरोपियों की पहचान कर ली गई है. जल्द ही हत्यारे सलाखों के पीछे होंगे. पुलिस ने पीड़ित को आर्थिक सहायता के साथ सरकार की अन्य योजनाओं का भी लाभ दिए जाने का आश्वासन दिया है.