पटनाः Chhath Puja 2022: उत्तर भारत में, खासतौर पर बिहार-झारखंड में छठ पर्व बहुत हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है. इस पर्व पर देश के किसी भी कोने में रह रहे बिहार के लोग गांव जरूर लौटते हैं. छठ पर्व कार्तिक शुक्ल षष्ठी को मनाया जाता है. वैसे इस उत्सव की शुरुआत चतुर्थी से हो जाती है और फिर सप्तमी को सूर्यदेव को जल-अर्घ्य देकर व्रत का पारण-समापन किया जाता है. यह भगवान सूर्य को समर्पित महापर्व है. 


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चार दिन का महापर्व
छठ पर्व में चार दिनों तक छठी माता और सूर्यदेव की पूजा-अर्चना की जाती है. छठ पूजा का व्रत काफी कठिन व्रतों में से एक माना जाता है. छठ में व्रती महिलाएं 36 घंटे का कठिन निर्जला व्रत रखती हैं. वे पारण के दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर ही भोजन करती हैं. छठ पूजा का व्रत खरना के दिन से शुरू हो जाता है, इसलिए व्रती महिलाओं के लिए यह दिन काफी महत्वपूर्ण होता है. छठ के दौरान छठी मैया और सूर्यदेव की पूजा-अर्चना की जाती है. इस वर्ष छठ पूजा 30 अक्टूबर को है.


चूल्हे तैयार करने के लिए छोड़ देती है मांस खाना
वहीं अगर बात करें तो छठ पूजा में हर साल मुस्लिम परिवार भी अपना काफी योगदान देते है. हर साल मुस्लिम परिवार छठ पूजा के लिए मिट्टी के चूल्हे तैयार करते हैं. बता दें कि छठ की दौड़ में, मुस्लिम महिलाएं प्याज, लहसुन और मांस खाना छोड़ देती हैं क्योंकि वे हिंदू भक्तों के लिए इन चूल्हों पर काम करती हैं. 


महिलाएं करती मिसाल पेश 
पटना के कुछ महिलाओं ने बताया कि 40 से 50 की संख्या में मुस्लिम महिलाएं छठ के लिए चूल्हे तैयार करती है. मिट्टी का चूल्हा निर्माण करने वाली महिलाओं को इस बार चूल्हे के कारोबार से काफी उम्मीद भी हैं. सड़क किनारे फुटपाथ पर हजारों मिट्टी के चूल्हे बन कर तैयार हो गए है. महिलाएं रोजाना 20 से 30 की संख्या में चूल्हे तैयार करती है. वहीं एक ओर यह मुस्लिम महिलाएं छठ पूजा के लिए चूल्हों को तैयार करके एक मिसाल पेश करती है और दूसरी तरफ इस काम को करने से उनके घर की आर्थिक स्थिति भी अच्छी हो जाती है. उनका कहना है कि हिंदू मुस्लिम कुछ नहीं होता है. हम सब एक है. सभी त्यौहार एक होते है. हम मुस्लिम होकर भी छठ पूजा मनाते है.    


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