जमशेदपुर : जमशेदपुर में टाटा टाटा ग्रुप को बड़ी क्षति हुई है. टाटा स्टील के पूर्व एमडी डॉक्टर जमशेदजी ईरानी के निधन से शोक की लहर दौड़ गई है. उन्होंने टीएमएच अस्पताल में सोमवार की रात अंतिम सांस ली. उन्हें काफी अनुभवी और दूरदर्शी लीडर के नाम से जाना जाता था. उन्होंने टाटा स्टील को नई बुलंदियों पर पहुंचाने में अकल्पनीय योगदान दिया था. वह अपने पीछे पत्नी डेजी ईरानी, एक पुत्र जुबिन, नीलो़फर और तनाज़ को छोड़ गये हैं. 


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उनके निधन के बाद पूरे देश में शोक की लहर है. जमशेदपुर में उनके आवास पर लोगों का हुजूम उमड़ना शुरू हो चुका है. दोपहर 2 बजे स्वर्णरेखा घाट में उन्हें अंतिम विदाई दी जाएगी. इस दौरान तमाम राजनीतिक नेताओं ने भी ट्वीट कर उनके निधन पर शोक जाहिर किया है. 


नेताओं ने जमशेदजी ईरानी के निधन पर जताया शोक 
केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने लिखा- टाटा स्टील के पूर्व एमडी और "स्टील मैन ऑफ इंडिया" के नाम से प्रसिद्ध डॉ जे जे जे ईरानी जी के निधन का दुःखद समाचार मिला. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें और उनके परिजनों को यह दुःख सहन करने की शक्ति दें. 


झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने लिखा- टाटा स्टील के पूर्व एमडी डॉ जेजे ईरानी जी के निधन का दुखद समाचार मिला.  उनका जाना उद्योग जगत के लिए बड़ी क्षति है. डॉ ईरानी को उनकी नेतृत्व क्षमता और कुशल प्रशासक के तौर पर याद रखा जायेगा, ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति और उनके परिजनों को यह असहनीय पीड़ा सहने की शक्ति प्रदान करें. 


झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने अपने संदेश में लिखा- टाटा स्टील के पूर्व एमडी डॉ जेजे ईरानी के निधन की दुखद सूचना मिली, मेरे उनके साथ आत्मीय संबंध रहे हैं, एक कुशल प्रशासक और बेहतरीन नेतृत्वकर्ता के रूप में वे सदैव याद किए जायेंगे, ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें और परिजनों को दुख सहने का साहस दें, ॐ शांति. 


लंबे समय से बीमार थे जमशेदजी ईरानी
बता दें कि कई दिनों से वे बीमार चल रहे थे. उन्हें इलाज के लिए टीएमएच में भर्ती कराया गया था. वे क्रिटिकल केयर यूनिट 3 में भर्ती थे लेकिन इसी दौरान वह कोरोना की चपेट में भी आ गए. जिससे उनकी सेहत और बिगड़ती चली गई, इसके बावजूद हालात में भी सुधार होने लगा था लेकिन फिर तबीयत बिगड़ने के बाद उन्होंने अंतिम सांस ली. 


जमशेदजी ईरानी ने पीएचडी की पढ़ाई इंग्लैंड के शेफील्ड विश्वविद्यालय से पूरी की थी
डॉ. ईरानी के निधन से लौहनगरी सहित पूरे उद्योग जगत में शोक की लहर है. उनके निधन की खबर सुनते ही टाटा स्टील के मेडिकल सर्विसेज के महाप्रबंधक डॉ सुधीर राय, आरएमओ रिंकू भार्गव समेत अन्य वरीय अधिकारी टीएमएच पहुंचे. इसके बाद देर रात तक यहां कंपनी के अधिकारियों के आने का सिलसिला जारी रहा. उन्होंने 1956 में साइंस कॉलेज, नागपुर से विज्ञान स्नातक की डिग्री और 1958 में नागपुर विश्वविद्यालय से भूविज्ञान में मास्टर ऑफ साइंस की डिग्री पूरी की. उन्होंने 1960 में धातुकर्म में परास्नातक और 1963 में पीएचडी की पढ़ाई इंग्लैंड के शेफील्ड विश्वविद्यालय से पूरी की थी. वे 1963 में शेफील्ड में एक वरिष्ठ वैज्ञानिक अधिकारी के रूप में ब्रिटिश आयरन एंड स्टील रिसर्च एसोसिएशन में शामिल हुए थे. उन्हें वहां भौतिक धातुकर्म प्रभाग के प्रमुख के रूप में पदोन्नत किया गया था. 


1968 में अपनी पढ़ाई खत्म कर भारत लौटे थे जमशेदजी ईरानी
1968 में वे भारत लौट आए और अनुसंधान और विकास के प्रभारी निदेशक के सहायक के रूप में 1968 में टाटा आयरन एंड स्टील कंपनी (टिस्को, अब टाटा स्टील) में शामिल हो गए. उन्हें 1978 में महाप्रबंधक, 1992 में प्रबंध निदेशक और 1998 में निदेशक के रूप में पदोन्नत किया गया था. वे 2001 में टाटा स्टील से सेवानिवृत्त हुए थे. टाटा स्टील से सेवानिवृत्त होने के बाद भी ईरानी ने लौहनगरी के अजीब लगाव होने के कारण यहीं रहना उचित समझा. वे हमेशा कहा करते थे कि टाटा स्टील के साथ उन्हें इस शहर से बहुत कुछ मिला था, जिसे भूलना उनके लिए शायद ही संभव है. यही कारण है कि वे शहर के विभिन्न मंच पर अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराने में पीछे नहीं रहते थे. डॉ. ईरानी जून, 1993 में टाटा मोटर्स के बोर्ड में शामिल हुए और टाटा संस के निदेशक के रूप में भी काम किया. 


विभिन्न खेल गतिविधियों में उनका अहम योगदान रहा 
2004 में सरकार ने उन्हें भारत के नए कंपनी अधिनियम के गठन के लिए विशेषज्ञ समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया था. वे 2011 में टाटा की विभिन्न कंपनियों के सभी पदों से सेवानिवृत्त हो गये थे. वे भारतीय प्रबंधन संस्थान, लखनऊ में बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष भी थे. उन्होंने और उनकी बहन डायना होर्मुसजी ने अपने पिता की याद में सिकंदराबाद के जोरोस्ट्रियन क्लब द्वारा आयोजित एक क्रिकेट टूर्नामेंट जिजी ईरानी चैलेंज कप की स्थापना की थी. शहर की विभिन्न खेल गतिविधियों में उनका अहम योगदान होता था. क्रिकेट से उनका लगाव था, जिसे वे अंत तक जुड़े रहे. 


टाटा स्टील के पूर्व एमडी डॉ. ईरानी को टाटा स्टील से जुड़ी गतिविधियों से लगाव था. संस्थापक दिवस के अलावा अन्य सभी कार्यक्रमों में शहर में होने पर वे निश्चित तौर पर शामिल होते थे. संस्थापक दिवस पर उनके आने का कंपनी अधिकारी ब्रेसब्री से इंतजार करते थे. इसके अलावा विटेंज कार रैली या अन्य आयोजन में ईरानी की सक्रिय भागीदारी होती थी. शहर से जुड़ी हर गतिविधियों में भी वे खासा दिलचस्पी लेते थे. यही कारण है कि टाटा स्टील के कार्यक्रमों में वह भाग लेते थे और टाटा स्टील के अफसरों में उनका अच्छा खासा प्रभाव था. लोग उनके मिलनसार स्वभाव योग्यता दक्षता से उन्हें पसंद करते थे. 
(REPORT- ASHISH KUMAR TIWARY)