जमशेदपुर में जलमग्न हुआ पंचायत, 150 से अधिक घरों में भरा पानी
जमशेदपुर के परसुडीह दक्षिणी कालीमाटी पंचायत क्षेत्र का 90 प्रतिशत भाग जलमग्न हो चुका है. पानी की निकासी नहीं होने की वजह से लगभग डेढ़ सौ से अधिक घर पूरी तरह से जलमग्न हो चुके हैं.
जमशेदपुर: जमशेदपुर के परसुडीह दक्षिणी कालीमाटी पंचायत क्षेत्र का 90 प्रतिशत भाग जलमग्न हो चुका है. पानी की निकासी नहीं होने की वजह से लगभग डेढ़ सौ से अधिक घर पूरी तरह से जलमग्न हो चुके हैं. स्थिति इतनी भयावह है कि लोग घर के छत पर रहने को मजबूर हैं और इस उम्मीद में बैठे हैं कि कोई आएगा और उन्हें इस स्थिति से बाहर निकालेगा.
दक्षिणी काली माटी पंचायत क्षेत्र के साथ-साथ अगर हम पूरे परसुडीह क्षेत्र की बात करें तो पूरे परसुडीह क्षेत्र के नाली का पानी इसी क्षेत्र से होकर गुजरता है. वर्तमान समय में जल निकासी की समुचित व्यवस्था नहीं होने की वजह से पहले निचले इलाकों में पानी प्रवेश कर गया. उसके बाद देर शाम हुई बारिश से ऊपरी इलाकों के घरों में भी नाले का पानी घुस गया. स्थिति इतनी विकराल हो गई कि रात भर लोग सो नहीं पाए. आज अपने दिनचर्या के काम नहीं कर पाए. घरों में अब तक चूल्हा नहीं जला है. दूसरे स्थानों में लोगों को शरण लेना पड़ रहा है. वैसे तो यह पंचायत क्षेत्र है जनप्रतिनिधियों द्वारा आश्वासन दिया गया था कि जल्द से जल्द स्थिति सुधार ली जाएगी पर ऐसा कुछ नहीं हुआ और जिला प्रशासन के वरीय पदाधिकारी अब तक क्षेत्र में झांकने भी नहीं आए हैं.
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इससे पहले भी जल जमाव की स्थिति होती थी पर ऐसी स्थिति इस वर्ष पहली बार हुई है क्योंकि क्षेत्र का निचला हिस्सा रेलवे के भूखंड पर है. जहां से जल निकासी होती है. स्थानीय लोगों का आरोप है कि रेल प्रशासन द्वारा मिट्टी भर देने की वजह से ड्रेनेज सिस्टम पूरी तरह से चौपट हो गया है. रेल प्रबंधन को कई बार स्थिति से अवगत कराया गया पर जब अभी स्थिति विकराल हुई है तो उनके द्वारा साफ सफाई का प्रयास किया जा रहा है लेकिन वह भी नाकाफी साबित हो रहा है. स्थानीय संतोष श्रीवास्तव बताते हैं कि दक्षिणी कालीमाटी पंचायत का मकदमपुर, शिव मंदिर ,मछुआ पाड़ा,महतो पाड़ा स्थित सभी घर जलमग्न हो गए हैं. नालों का पानी घरों में घुस गया है और उन्हें भगवान भरोसे छोड़ दिया गया है.
जिस तरह से नालों का पानी घर में घुसा क्षेत्र के लगभग 8 से 10 झोपड़ी नुमा घर ध्वस्त हो गए. पालतू मवेशियों की मौत हो रही है, जिले के सांसद द्वारा रेल प्रबंधन को दबाव बनाया गया जिसके बाद रेल प्रबंधन ने ड्रेनेज सिस्टम पर काम किया, पर वाह विफल हो गया. दोबारा रेल प्रबंधन द्वारा ड्रेनेज सिस्टम को सुचारू करने का प्रयास किया जा रहा है पर वह कितना सफल होगा यह आने वाला वक्त बताएगा. स्थानीय रितिका श्रीवास्तव ने बताया कि स्थानीय कुछ लोग अपने द्वारा जितना हो रहा है उनके द्वारा मदद की जा रही है पर जिला प्रशासन ने अब तक इनकी जानकारी तक नहीं ली है. जनप्रतिनिधियों द्वारा आश्वासन मिल रहा है पर जमीनी स्तर पर कुछ भी नहीं दिख रहा है. ऐसे में ये सभी जाएं तो जाएं कहां बीमारी का डर भी सता रहा है, भूखे प्यासे क्षेत्रवासी मदद की आस लगाए अपने-अपने घरों पर बैठे हैं.
एक तरफ सैकड़ों परिवार की स्थिति बद से बदतर होती जा रही है. दूसरी तरफ जनप्रतिनिधियों के बाद अब क्षेत्रवासियों को जिला प्रशासन से उम्मीद है. इसके बाद भी जिला प्रशासन द्वारा अब तक क्षेत्र के लोगों की सुधि ना लेना जिला प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़ा करता है. वक्त रहते स्थिति को सामान्य नहीं किया गया तो स्थिति और विकराल होगी.
(Report-Ashish Tiwary)