घाटशिला के धलभुमगढ़ में विकास के नाम पर सरकारी राशि का किया गया गबन
घाटशिला के धालभूमगढ़ प्रखण्ड में मनरेगा योजनाओं में बिना काम कराए ही योजना से संबंधित सारे पैसे का भुगतान करा लिया गया है. जबकि चयनित स्थल पर 5 साल बीत जाने के बाद भी किसी तरह का कोई कार्य शुरू नहीं किया गया है.
Ghatshila: झारखंड के घाटशिला के धालभूमगढ़ प्रखण्ड में मनरेगा योजनाओं में बिना काम कराए ही योजना से संबंधित सारे पैसे का भुगतान करा लिया गया है. जबकि चयनित स्थल पर 5 साल बीत जाने के बाद भी किसी तरह का कोई कार्य शुरू नहीं किया गया है. यहां पर विकास के नाम पर योजना बनाकर सरकारी राशि की लूट की जा रही है.
मनरेगा योजना के तहत स्किम को पास करवा कर बिना बनाए ही कागजों में काम पूरा दिकाया जा रहा है. जिसके बाद योजनाओं से संबंधित सभी पैसे ले लिए जा रहे हैं. इस घपलेबाजी में बीडीओ से लेकर बीपीओ, पंचायत सचिव, मुखिया, असिस्टेंट इंजीनियर, जूनियर इंजीनियर, रोजगार सेवक, कम्प्यूटर ऑपरेटर और मनरेगा एक्शन के सभी मेकेनिज्म शामिल हैं.
यह मामला घाटशिला के धालभूमगढ़ प्रखण्ड के कोकपाड़ा नरसिंहगढ़ पंचायत के चारचक्का गांव और मुढाकाटी गांव का है. यहां पर मूढाकाटी सीमा स्थित पुलिया से अशोक महतो की जमीन तक बनने वाली नाली निर्माण योजना से जुड़ा है. जिस काम की शुरुआत तक नहीं हुई है और इस योजना से संबंधित पैसे 2020-21 में ही ले लिए गए हैं.
इस मामले का खुलासा तब हुआ जब कोकपाड़ा नरसिंहगढ़ पंचायत की पूर्व पंचायत समिति सदस्य को इसके बारे में जानकारी मिली. जिसके बाद उन्होंने गांव जाकर निरीक्षण किया. जहां पर किसी भी प्रकार की सिंचाई नाली का निर्माण नहीं हुआ है. जिसके बाद इसकी जांच की गई तो पाया कि इस योजना से जुड़े सारे पैसों का उठाव गलत तरीके से किया जा चुका है और वे पैसे सभी में बांटें जा चुके हैं.
दरसल मनरेगा योजना के तहत धालभूमगढ़ प्रखण्ड कार्यालय के द्वारा 04 अगस्त 2017 की तिथि में योजना संख्या 3410007015/IC/9010204070 की शुरूआत की गई थी. इस योजना के तहत ग्राम चारचक्का में मूढाकाटी सीमा प्रारम्भ सामने पुलिया से अशोक महतो की जमीन की ओर पक्का सिंचाई नाले का निर्माण कार्य पास कराया गया था. इस नाली निर्माण के स्थल में वन विभाग की जमीन का भी हिस्सा आता है. लेकिन इस जगह पर नाली का निर्माण आज तक नहीं हुआ है और न ही इसके लिये किसी भी तरह का निर्माण कार्य प्रारंभ किया गया है.
पूरा देश 2020-21 मे जिस समय जानलेवा कोरोना संक्रमण के भीषण संकट से गुज़र रहा था. उस समय धालभूमगढ़ प्रखण्ड के बीडीओ,बीपीओ और अन्य अधिकारी आपदा को अवसर में बदलने में लगे थे. इस दौरान अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ इस पंचायत की मुखिया विलासी सिंह और अन्य जिम्मेदार लोग इस योजना की राशि को आपस में बांट लिया.
इससे संबंधित जो सरकारी दस्ताबेज के तहत 19 सितंबर 2020 से 25 सितंबर 2020 यानी कि सात दिन के अंदर ही इस सिंचाई नाली का निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया है जिसके तहतमेटेरियल का खर्च 03 लाख 57 हज़ार, 286 रुपये 28 पैसे है. बांकी शेष पैसे को कार्य मे लगे मजदूर सुभाषिनी सिंह,गुरुबारी सिंह,माधुरी सिंह,औऱ जुओतिन सिंह को मजदूरी भुगतान के रूप में दिखाया गया है. जो कि महज कागजो में है. क्योंकि इस योजना से सम्बंधित नाली कि खोज चयनित स्थल पर की गई है. हालांकि यहां पर किसी भी प्रकार की नाली का निर्माण नहीं किया गया है. ग्रामीणों का कहना है कि लोगों को नाली निर्माण की कोई जानकारी नहीं.
पूर्व पंचायत समिति सदस्य रत्ना मिश्रा और पूर्व जिला परिषद सदस्य आरती सामद ने इसकी लिखित शिकायत जिला लोकपाल सनत कुमार महतो से की है. जिसपर लोकपाल सनत कुमार महतो ने स्थल का निरीक्षण किया तो वहां पर नाली निर्माण नही मिला.
जांच करने के बाद मनरेगा योजना में हुए इस घोटाले में लिखित रिपोर्ट की है. लोकपाल सनत कुमार महतो ने धालभूमगढ़ की बीडीओ सबिता टोपनो को सौंप दिया है.
इस सबन्ध में लोकपाल सनत कुमार महतो ने बताया कि यह पूरी तरह से सरकारी राशि के गबन का मामला है जिसपर कार्रवाई निश्चित है.
वहीं इस मामले को लेकर बीडीओ सबिता टोपनो ने बताया कि इस गड़बड़ी की जानकारी मिलने के बाद प्रखण्ड स्तरीय जांच दल बनाकर इसकी जांच कराई जा रही हैं. साथ ही जो भी लोग दोषी पाए जाएंगे उनके खिलाफ कार्रवाई होनी सुनिश्चित है.
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