जमुई: बिहार के जमुई में सदर अस्पताल प्रशासन की बड़ी लापरवाही सामने आई है. जहां जिंदा मरीजों के लिए एंबुलेंस नहीं मिलती है लेकिन मरने के बाद शव को ले जाने के लिए एंबुलेंस मिल जाती है. दरअसल मंगलवार की रात सोनो प्रखंड के कोड़ाडीह गांव निवासी केदार मंडल द्वारा अपनी पुत्री बिंदी देवी को पेट दर्द की शिकायत पर सदर अस्पताल के इमरजेंसी में भर्ती कराया गया था. जहां युवती की गंभीर स्थिति को देखते हुए डॉक्टर अभिषेक गौरव द्वारा प्रारंभिक उपचार के बाद पटना रेफर किया गया था, लेकिन पटना ले जाने के लिए 102 एंबुलेंस नहीं मिली. जिस वजह से चार घंटे तक तड़पकर रात 12:30 बजे युवती की मौत हो गई.


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वहीं पीड़ित के पिता केदार मंडल ने बताया कि वे अपनी पुत्री को पटना पीएमसीएच ले जाने के लिए कई बार 102 पर फोन किया, सदर अस्पताल के अधिकारियों को भी फोन लगाया, चिकित्सक व अन्य स्वास्थ्य कर्मियों ने भी एंबुलेंस के लिए प्रयास किया लेकिन किसी ने उनकी गुहार नहीं सुनी. गरीबी की वजह से पैसा नहीं रहने पर वे प्राइवेट एंबुलेंस से पटना लेकर नहीं जा सके, नतीजतन चार घंटे तक बेड पर ही तड़पकर उनकी पुत्री की मौत हो गई. समय पर एंबुलेंस मिलती तो शायद उनकी पुत्री की जान बच सकती थी. 102 एंबुलेंस नहीं मिलने की वजह से गरीबी की दंश झेल रहे पीड़ित केदार मंडल के पास निजी एंबुलेंस से जाने का पैसा भी नहीं था. जिस वजह से वे अपनी पुत्री को सदर अस्पताल में तड़पता देखते रहे और पिता के आंखों के सामने ही बिंदी कुमारी ने दम तोड़ दी.


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जब तक युवती जिंदा थी तब तक उसे 102 एंबुलेंस नहीं मिला. जब युवती ने दम तोड़ दिया तो मरने के बाद शव को ले जाने के लिए एंबुलेंस पहुंच गई. वहीं इतने बड़े जिला अस्पताल में संसाधनों की आपूर्ति और व्यवस्था के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है. करीब 20 लाख आबादी का भार उठाने वाले सदर अस्पताल में कदम- कदम पर कुव्यवस्था व्याप्त है. यहां एंबुलेंस से मरीज को उतरकर इमरजेंसी तक ले जाने वाला नहीं है और न ही स्ट्रेचर की समुचित व्यवस्था है. दो स्ट्रेचर के सहारे ही गर्भवती व इमरजेंसी मरीज को लाया और ले जाया जा रहा है. अमूमन सदर अस्पताल से रेफर होने वाले मरीजों के स्वजन को 102 एंबुलेंस का लाभ लेने में पसीना छूट रहा है. चिकित्सक द्वारा भले बेहतर इलाज के लिए मरीजों को रेफर कर दिया जाता है लेकिन 102 एंबुलेंस कहां और कैसे मिलेगी इसकी जानकारी मरीज के स्वजन को नहीं मिलती है.


इनपुट- अभिषेक निरला


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