Jamui News: बिहार के जमुई जिले में स्थित मां नेतूला मंदिर में दैवीय घटना देखने को मिली है. जहां एक व्यक्ति को नेतूला मंदिर के प्रांगण में थूकना काफी महंगा पड़ा है. मंदिर के प्रांगण में थूकने के बाद व्यक्ति के आंखों की रोशनी चली गई, उसके मुंह से आवाज आना बंद हो गया. जिसके बाद परिवार में कोहराम मच गया है. परिवार वालों ने कुछ घंटे मंदिर में माता की पूजा अर्चना कराई, जिसके बाद व्यक्ति के आखों की रौशनी लौटने लगी. 


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वहीं, नेतुला मंदिर में जी मीडिया से खास बातचीत करते हुए शंकर सिंह के माता पम्मी देवी और पत्नी ने बताया कि दुर्गा पूजा के दौरान अष्टमी के दिन देर रात निशा बली के दौरान इन्होंने मंदिर में थूक फेंक दिया था. उसके बाद घर चले गए, घर जाने के बाद उनकी स्थिति बिगड़ गई, अजीब सा हरकत करने लगे. हम लोग इनका डॉक्टर से इलाज कराया, लेकिन इनमें कोई सुधार नहीं होने पर झाड़ फूंक के लिए पांडेय जी के पास ले जाया गया.


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जहां पांडेय जी ने मां नेतुला मंदिर में गलती करने की बात बताई, उसके बाद हम लोग इन्हें मंदिर लेकर आए हैं. मंदिर लाने के बाद पूजा पाठ और नारियल का पानी आंख में डाला गया, जिसे बाद उनके आंखें खुल गई है. सिर्फ गला खुलना बाकी है, आवाज नहीं आ रहा है. बोला गया तीन दिन के बाद आवाज आ जाएगा. चौथा दिन घर चले जाने के लिए, फिलहाल हम लोग यहीं पर हैं. पूजा पाठ कर रहे हैं. माता रानी पर पूर्ण भरोसा है कि मेरे बच्चे का गला भी खुल जाएगा और फिर पहले जैसा ठीक-ठाक हो जाएगा. 


वहीं, नेतुला मंदिर के कार्यकारी अध्यक्ष हरदेव सिंह ने बताया कि हम लोग को इसके बारे में कोई जानकारी नहीं थी कि ऐसी घटना हुई है, लेकिन 14 तारीख के शाम को केयार गांव निवासी शंकर सिंह अपने परिवार के साथ आए और ऐसी घटना को हम लोग के बीच रखा, उसके बाद हम लोगों ने मां के मंदिर का नीर उन्हें दिया और पूजा अर्चना में लगे रहने का निर्देश दिया. उसके बाद ही उनका आंख खुल गया, लेकिन गला नहीं खुला है.


आवाज नहीं आ रहा है, कुछ बोल नहीं पा रहा है, लेकिन माता रानी का आशीर्वाद है बहुत जल्द मुंह खुल जाएगा और फिर से शंकर ठीक-ठाक हो जाएगा. कई बार यहां पर ऐसी घटनाएं हुई है और लोग ठीक भी हुए हैं. वहीं, मंदिर के पुजारी जयराम पांडेय ने बताया कि अष्टमी दिन निशा बाली के दौरान शंकर यहीं पर खड़ा था और उनके द्वारा घृणा हो या फिर जो भी बातें रही होगी. उनके द्वारा यहां पर थूक दिया गया. उसके बाद वह घर चले गए और उन्हें बेचैनी हुई उसके बाद उनका इलाज भी कराया गया. जिसके बाद ठीक नहीं होने के बाद वह मंदिर आए हैं.


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अभी उनकी हालत ठीक है आंख खुल गई है और मुंह से आवाज अभी नहीं आया है. भगवती का कृपा हैं, वह भी आ जाएगा. मंदिर की विशेषता है कि यह मंदिर 2600 साल पुराना है. यहां पहले भी मंदिर था जो कि हमारे पूर्वज को भी बहुत ज्यादा जानकारी नहीं है, लेकिन नेत्र पुत्र देने वाली यह माता हैं. जो भी लोग मनोकामना को लेकर आते हैं वह यहां पूर्ण होता है. 


इनपुट - अभिषेक निरला


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