Jharkhand News: रांची, 29 जुलाई झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि उन्हें पांच महीने जेल में बंद कर उनका बेहद कीमती वक्त बर्बाद किया गया है. इस समय का उपयोग कर वह अनगिनत लोगों की समस्याएं सुलझा सकते थे. कुछ समूह ऐसे भी हैं, जो बेवजह न्यायालय का वक्त बर्बाद करते हैं
सोरेन ने मनी लॉन्ड्रिंग केस में उनकी जमानत रद्द कराने की मांग वाली ईडी की याचिका सुप्रीम कोर्ट से खारिज होने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें इस तरह जेल की सलाखों के पीछे डाल दिया गया था, जैसे वे राज्य की कोई बड़ी संपत्ति लेकर घूम रहे थे या फरार हो गए थे. सोरेन परिवार पर कई लांछन लगाए गए. लेकिन, न्यायालय सर्वोपरि है. यह लोकतंत्र का ऐसा स्तंभ है, जहां अंधकार नहीं है. 
सोमवार को झारखंड विधानसभा में अपने कक्ष से निकलते वक्त मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा, "आपने देखा होगा कि कितनी बड़ी संख्या में लोग अपनी समस्याएं और आवश्यकताएं लेकर मुझसे मिलते हैं. मैं उनकी समस्याएं सुलझाने का प्रयास करता हूं. लेकिन, मुझे जेल में डालकर मेरा कीमती वक्त बर्बाद किया गया."


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उन्होंने कहा कि कुछ समूह ऐसे हैं, जो सामाजिक-राजनीतिक रूप से काम करने वाले लोगों और समाज के गरीब, आदिवासी, दलित-पिछड़े वर्ग की आवाज को येन-केन-प्रकारेण बंद करने के लिए अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करते हैं. आज सर्वोच्च न्यायालय के आदेश से भी यह बात साबित हो गई है. झारखंड के संथाल परगना और बिहार-पश्चिम बंगाल के कुछ जिलों को मिलाकर केंद्र शासित प्रदेश बनाने की हाल में उठाई गई मांग के संबंध में पूछे जाने पर सीएम सोरेन ने कहा कि ऐसी बात करने वाले लोग वही हैं, जो समाज और परिवार को तोड़ते हैं. ऐसे लोग सिर्फ राज्य, देश और समाज में वैमनस्य फैलाने की कोशिश करते हैं. 


हेमंत सोरेन के साथ मौजूद उनकी पत्नी और झामुमो विधायक कल्पना सोरेन ने न्यायालय के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "सत्य की जीत हुई है, लेकिन सवाल यह है कि हेमंत सोरेन जी के जो पांच महीने बर्बाद हुए हैं, उसकी भरपाई कैसे होगी?"


इनपुट-आईएएनएस


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