Jharkhand Assembly Election 2024: झारखंड में इसी साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होने हैं. चुनाव आयोग से लेकर राजनीतिक दलों ने सभी ने अपनी-अपनी तैयारी करनी शुरू कर दी है. सत्तारूढ़ जेएमएम-कांग्रेस-आरजेडी गठबंधन फिर से जीत हासिल करना करने का दावा कर रहा है, तो वहीं विपक्ष में बीजेपी नीत एनडीए गठबंधन का दावा है कि इस बार वह सत्ता में आने वाले हैं. दावों-वादों के बीच अगर झारखंड के चुनावी इतिहास पर नजर डालें तो बड़ी दिलचस्प बातें सामने आती हैं. महज 24 साल के युवा प्रदेश को 13 मुख्यमंत्री मिल चुके हैं. इसी बात से आप खनिजों से लबालब झारखंड की सियासत को समझ सकते हैं. प्रदेश में राजनीतिक गठबंधन के कई प्रयोग हुए, इसके बावजूद अगर पांच वर्ष को छोड़ दें तो तकरीबन सभी सरकारें अस्थिर रहीं.


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झारखंड में लगभग सभी प्रमुख दलों को यहां कभी न कभी सत्ता में रहने का मौका मिला. सबसे लंबे समय तक बीजेपी सत्ता में रही, लेकिन मुख्यमंत्री के रूप में केवल रघुवर दास ही अपना कार्यकाल पूरा कर सके. बाकी सरकारें बीच में ही धड़ाम होती रहीं. इस बीच बीजेपी-जेएमएम गठबंधन की सरकार भी देखने को मिली, तो तीन बार राष्ट्रपति शासन भी लगा. झारखंड एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां एक निर्दलीय उम्मीदवार मधु कोड़ा मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठने का मौका मिला और कांग्रेस जैसे राष्ट्रीय दल ने उनका समर्थन किया था.


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इतने सियासी उथल-पुथल के बाद भी प्रदेश की जनता हर पांच बाद सत्ता बदल देती. जनता ने जेएमएम के नेतृत्व में इंडिया ब्लॉक को सरकार बनाने का मौका दिया. पूर्ण बहुमत के बाद भी पांच साल एक मुख्यमंत्री नहीं रह सका. 2019 में हेमंत सोरेन ने प्रदेश की कमान संभाली थी, लेकिन 31 जनवरी को मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में ईडी ने उनको गिरफ्तार किया था, तब उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. हेमंत अपना उत्तराधिकारी चंपई सोरेन को बनाकर जेल गए थे. 28 जून को हेमंत को जमानत मिल गई. जेल से बाहर आते ही उन्होंने चंपई से सीएम की कुर्सी वापस ले ली. इस तरह से इस पांच साल में ही तीन मुख्यमंत्री मिल गए.