Dumka: काम की तलाश में एक महीने पहले मुंबई गईं दुमका की आठ बेटियां मानव तस्करी (Human Trafficking) का शिकार होने से बच गईं. मुंबई के कल्याण रेलवे स्टेशन की पुलिस ने उन्हें कब्जे में लेकर सकुशल दुमका CWC के हवाले कर दिया. सभी लड़कियां दुमका के चार प्रखंडों से हैं. दुमका के जिला समाज कल्याण कार्यालय में सभी का बयान दर्ज करने के बाद बाल कल्याण समिति ने उन्हें परिजनों को सौंप दिया. 


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बता दें कि सभी मुंबई में रहने वाले एक रिश्तेदार के बुलावे पर गई थीं. इनमें जिले के रामगढ़ प्रखंड की चार, गोपीकांदर की दो सगी बहनें, शिकारीपाड़ा और जरमुंडी की एक-एक किशोरी शामिल हैं, जो एक महीने पहले मुंबई गई थीं. 


रिश्तेदार के कहने पर मुंबई पहुंची थी बच्चियां
दरअसल, 21 सितंबर को कल्याण रेलवे स्टेशन पर उतरते ही रेलवे पुलिस ने शक के आधार पर सभी को पकड़ लिया था. पूछताछ में सभी ने बताया कि वे एक रिश्तेदार के कहने पर ही वहां पहुंची हैं. जवाब से संतुष्ट नहीं होने पर रेलवे पुलिस ने सभी को महाराष्ट्र बाल कल्याण समिति को सौंप दिया.


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'स्टेशन पर उतरते ही पकड़ लिया गया'
चार दिन पहले वहां की समिति ने स्थानीय समिति के पदाधिकारी प्रकाश चंद्र को सारी बात बताई. प्रकाश के अनुरोध पर कल्याण थाना के तीन जवान चार महिला पुलिस कर्मियों को साथ लेकर आए और CWC को सुपुर्द किया. समाज कल्याण विभाग के कार्यालय में सभी किशोरियों का बयान दर्ज किया गया, जहां सभी लड़कियों ने बताया कि मुंबई में उनके गांव का एक रिश्तेदार रहता है. उसने ही काम दिलाने के लिए बुलाया था लेकिन स्टेशन पर उतरते ही उन्हें पकड़ लिया गया. 


18 साल से कम है सभी की उम्र
सीडब्लूसी के अध्यक्ष मनोज साह ने बताया कि सभी बच्चियों की उम्र 18 साल से कम है. सभी का बयान दर्ज किया गया है. सभी ने मर्जी से मुंबई जाने की बात बताई है. बच्चियों के परिजनों को बुलाकर उनके सुपुर्द कर दिया गया है.


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गौरतलब है कि रोजगार की तलाश में झारखंड से पश्चिम बंगाल, असम, उत्तरप्रदेश, दिल्ली और मुम्बई सहित देश के कई प्रदेशों में पलायन होता है, लेकिन अक्सर खबरें मिलती है कि झारखंड की बेटियां तस्करी का शिकार हो गई हैं. हालांकि, सरकार खबर मिलते ही रेस्क्यू ऑपरेशन चलाकर इन बेटियों को मुक्त कराती है.


(इनपुट- सुबीर)