राज्यसभा उम्मीदवार के ऐलान के बाद कांग्रेस और JMM के बीच सुलह की संभावना हुई कम!
रांचीः झारखंड से महागठबंधन पद के उम्मीदवार के नाम के ऐसान के लिए दिल्ली से रांची तक लंबी बैठक का दौर चला.
रांचीः झारखंड से महागठबंधन पद के उम्मीदवार के नाम के ऐसान के लिए दिल्ली से रांची तक लंबी बैठक का दौर चला. झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन इस दौरान दिल्ली सोनिया गांधी से मिलने भी पहुंचे और फिर झारखंड मुक्ति मोर्चा ने महुआ माजी के नाम की घोषणा कर दी.
राज्यसभा उम्मीदवार के नाम की घोषणा के बाद कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर ने स्पष्ट कहा कि यह झारखंड मुक्ति मोर्चा का फैसला है और यह कह सकते हैं कि जब भी कोई संगठन निर्णय लेता है तो सारी बारीकियों को देख कर लेता है. निश्चित तौर पर जेएमएम में बहुत सारे लीडर हैं. सब ने मिलकर फैसला लिया होगा. इन सारी बातों से हमने अपने आलाकमान को अवगत करा दिया है और हम समझते हैं कि हमारे प्रभारी कल आएंगे और उसके बाद हम बताएंगे कि हमारा स्टैंड क्या होगा. चुनाव में मदद करना है या नहीं करना है. वहीं उन्होंने कहा कि जेएमएम के पास खुद का संख्या बल है और उन्हें किसी की जरूरत नहीं है.
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वहीं उन्होंने कहा कि अब आगे की रणनीति पर चर्चा तब होगी जब प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे कल रांची आएंगे. साथ ही उन्होंने कह दिया कि दिल्ली में जो बात हुई थी और आज की घोषणा में विरोधाभास है. वहीं राजेश ठाकुर महुआ माजी को बधाई देने से भी बचते नजर आए.
महुआ माजी को राज्यसभा उम्मीदवार बनाए जाने पर जेएमएम महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि संगठन में बातें तय हुई थी. जेएमएम अपना उम्मीदवार हर हाल में देगा. इसके लिए गुरुजी और कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन को अधिकृत किया गया था. हमारे नेता ने दिल्ली में कांग्रेस के नेता से बात कर निर्णय लिया है. महुआ माजी जेएमएम की उम्मीदवार हैं. जो गठबंधन समर्थित है. मुझे विश्वास है नॉमिनेशन में कांग्रेस के नेता गण भी शामिल रहेंगे.
जेएमएम द्वारा महुआ माजी को उम्मीदवार बनाए जाने पर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हर दल को अपना प्रत्याशी देने का मूल अधिकार है. जेएमएम ने अपना उम्मीदवार महुआ माजी को बनाया है. बधाई, पर जिन लोगों ने जेएमएम के लिए तपस्या किया है, जमीन जोता है. जेएमएम के लिए जिन लोगों ने झंडे लगाए हैं, जिन लोगों ने वॉल राइटिंग किया है, वो जमात कहां चली गई. पुराने कार्यकर्ता जेएमएम के कहां चले गए. कांग्रेस तो लाचार और बेचारी है. झारखंड में पिछलग्गू पार्टी की तरह है, भ्रष्टाचार में दोनों साझेदार हैं, इसलिए बेबस और लाचार कांग्रेस, जे एम एम की पिछलग्गू बनने के लिए मजबूर है. ऐसे में जेएमएम ने कांग्रेस की बात नहीं मानी.