रांची: Ranchi Violence: रांची में दस जून को हुई हिंसा की एनआइए जांच की मांग को लेकर झारखंड हाई कोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई. हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की अदालत में इस बाबत दायर की गई जनहित याचिका पर सुनवाई की गई. इस दौरान झारखंड सरकार की ओर से बताया गया कि कोर्ट के द्वारा मांगी गई रिपोर्ट अभी तैयार नहीं हो पाई है. इसलिए उन्हें कोर्ट में दाखिल करने के लिए समय दिया जाए, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया. मामले में अगली सुनवाई 8 जुलाई को होगी.


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कोर्ट ने मांगी विस्तृत रिपोर्ट और आंकड़े
जानकारी के मुताबिक, पिछली सुनवाई के दौरान अदालत ने इस मामले में सरकार से विस्तृत रिपोर्ट मांगी थी. अदालत ने सरकार से पूरी घटनाक्रम की जानकारी देने को कहा था. पूछा था कि क्या इस मामले में कोई खुफिया रिपोर्ट सरकार को मिली थी. अदालत ने सरकार से यह भी पूछा है कि घटना के दिन एक साथ दस हजार लोग कैसे जमा हो गए. हिंसा में लोगों की मौत और घायलों की सही संख्या के आंकड़ों के बाबत भी कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है. घटना के दिन गोलीबारी की जानकारी मांगते हुए सरकार से पूछा है कि घटना के दिन आंसू गैस और वाटर कैनन का इस्तेमाल किया गया था या नहीं. प्रदर्शन को रोकने के लिए पहले आंसू गैस व वाटर कैनन का इस्तेमाल किया जाता है. इसके बाद लाठी चार्ज होती है. अदालत ने हिंसा के बाद हुई कार्रवाई की भी जानकारी मांगी है


जनहित याचिका में प्रायोजित बताई गई हिंसा
इस संबंध में पंकज यादव ने जनहित याचिका दाखिल एनआइए से जांच कराने का आग्रह किया है. पिछली सुनवाई के दौरान प्रार्थी के अधिवक्ता राजीव कुमार ने कहा कि रांची में दस जून को हुई हिंसा पूर्व से प्रायोजित थी. इस घटना में पीएफआइ और दूसरे संगठनों के शामिल होने की बातें सामने आ रही है. इस कारण इस मामले की जांच एनआइए से कराई जानी चाहिए. अदालत को बताया गया कि इस मामले में गिरफ्तार नवाब चिश्ती के तार राज्य के मंत्रियों से भी जुड़े हैं. कई मंत्रियों के साथ उसकी तस्वीर भी है. सरकार की ओर से कहा गया कि मंत्री के साथ भले ही नवाब की तस्वीर हो लेकिन मंत्री की नवाब के साथ कोई जान-पहचान नहीं है. इस पर कोर्ट ने कहा कोई किसी के साथ तस्वीर कैसे खिंचवा सकता है.


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