तीन वर्षों तक भूमि का दस्तावेज नहीं देने पर झारखंड HC गंभीर, देवघर उपायुक्त को किया तलब
झारखंड उच्च न्यायालय ने लगभग तीन वर्षों से एक भूस्वामी को उसके भूमि के आवश्यक दस्तावेज देने में हीलाहवाली करने पर शुक्रवार को देवघर के उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री और मोहनपुर के अंचल अधिकारी (सीओ) को आठ बजे तक पेश होने का निर्देश दिया तथा ऐसा नहीं करने पर उन्हें गिरफ्तारी की चेतावनी दी.
Ranchi: झारखंड उच्च न्यायालय ने लगभग तीन वर्षों से एक भूस्वामी को उसके भूमि के आवश्यक दस्तावेज देने में हीलाहवाली करने पर शुक्रवार को देवघर के उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री और मोहनपुर के अंचल अधिकारी (सीओ) को आठ बजे तक पेश होने का निर्देश दिया तथा ऐसा नहीं करने पर उन्हें गिरफ्तारी की चेतावनी दी.
दोनों अधिकारी गिरते-पड़ते ठीक सात बजकर पचास मिनट पर न्यायालय की शरण में पहुंच गये जिसके बाद उन्हें पंद्रह दिनों के भीतर याचिकाकर्ता को उसकी भूमि के आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध कराने के निर्देश के साथ छोड़ दिया गया. झारखंड उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति राजेश शंकर की पीठ ने सुबह अदालती कार्यवाही प्रारंभ होने पर सूची में सातवें मामले के तौर पर याचिकाकर्ता सुनील कुमार शर्मा की याचिका की सुनवाई प्रारंभ की.
न्यायमूर्ति शंकर ने कुमार को लगभग तीन वर्षों के अथक प्रयास के बावजूद उसका भूमि स्वामित्व प्रमाण (लैंड पजेशन रिकॉर्ड) नहीं दिये जाने पर देवघर के उपायुक्त एवं राजस्व अधिकारियों पर सख्त नाराजगी जतायी. अदालत ने देवघर के उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री और मोहनपुर के अंचल अधिकारी (सीओ) को आठ घंटे के भीतर लगभग ढाई सौ किलोमीटर दूर स्थित देवघर से रांची पहुंचने और पीठ के समक्ष रात्रि आठ बजे पेश होने का आदेश दिया.
दोनों अधिकारी येनकेन प्रकारेण रात्रि सात बजकर पचास मिनट पर अदालत की शरण में पहुंच गये. अदालत के निर्देश के बावजूद पिछले छह माह में भी यह दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए जाने पर न्यायमूर्तिशंकर की अदालत ने गहरी नाराजगी जाहिर की और मुख्य सचिव को दोनों की उपस्थिति सुनिश्चित कराने का निर्देश देते हुए कहा कि यदि दोनों अधिकारी तय समय पर हाजिर नहीं होते हैं तो उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया जाएगा. अ
दालत ने दोनों से पूछा कि क्या ‘लैंड पजेशन रिकॉर्ड’ (एलपीआर) जारी करने से संबंधित कोई रजिस्टर बनाया जाता है?राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता आशुतोष आनंद ने अदालत को बताया कि इस तरह का कोई रजिस्टर नहीं होता है. इस पर अदालत ने पूछा कि आखिर बिना कोई रिसीविंग या नंबर दिए मामले को इतने समय तक लंबित कैसे रखा जा सकता है? आशुतोष आनंद ने कहा कि उन्होंने खुद उपायुक्त और सीओ को इस संबंध में आग्रह किया है कि वह एलपीआर को लेकर एक रजिस्टर बनाएं ताकि मामलों का निष्पादन जल्द से जल्द हो सके. सुनवाई के बाद अदालत ने प्रार्थी को निर्देश दिया कि वह सीओ के पास शनिवार को ही एलपीआर के लिए आवेदन दें.
उन्होंने निर्देश दिया कि आवेदन पर सीओ 15 दिन के अंदर एलपीआर से संबंधित आदेश पारित करें. सुनील कुमार शर्मा की ओर से वर्ष 2019 में सीओ के पास एलपीआर के लिए आवेदन दिया गया था . कई बार उन्होंने आवेदन दिया लेकिन सीओ कार्यालय की ओर से उन्हें एलपीआर जारी नहीं की गयी. जिसके बाद थक हार कर उन्होंने उच्च न्यायालय की शरण ली थी.
(इनपुट: भाषा)