Jharkhand: झारखंड में आज प्रकृति का त्योहार सरहुल धूम-धाम से मनाया जा रहा है.  राजधानी रांची समेत पूरे प्रदेश में इस त्योहार की धूम है. आदिवासी प्रकृति के इस पर्व पर खूब झूमते नजर आ रहे हैं. रांची के अल्बर्ट एक्का चौक पर लोग झूमते-नाचते गाते हुए नजर आ रहे हैं. इस पर्व को लेकर राजधानी में जिला प्रशासन ने सुरक्षा समेत सारे इंतजाम पुख्ता किए हैं, किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना न हो सके इसके इसके लिए भी चाक-चौबंद व्यवस्था की गई है. इसके अलावा लोगों पर कड़ी नजर रखने के लिए सीसीटीवी और ड्रोन का इस्तेमाल किया जा रहा है. सुरक्षा के लिए लगभग केवल प्रदेश की राजधानी रांची में 1500 जवानों के साथ मजिस्ट्रेट को भी नियुक्त किया गया है. 


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प्रकृति को संभाल कर रखना है इस पर्व का मुख्य उद्देश्य
मुख्य रूप से यह पर्व आदिवासियों द्वारा मनाया जाता है. इस पर्व का मुख्य उद्देश्य प्रकृति को संजो कर रखना है. प्रकृति का यह पर्व पहान पुजारी के द्वारा जल जंगल, जमीन की रक्षा के लिए और पर्यावरण को संभाल कर रखने के लिए मनाया जाता है. इस पर्व में अखाड़ा के पहान के द्वारा पूजा की जाती है. इसके साथ ही पतझड़ के बाद पेड़-पौधों में नये पत्ते निकलने लगते हैं. इस पर्व में प्रकृति की पूजा की जाती है.  बताया जाता है कि जब हरी पत्ति निकलने लगती है, आम के मंजर तथा सखुआ और महुआ के फुल से जब पूरा वातावरण महकने लगता है उस वक्त आदिवासी अपने इस प्रकृति पर्व सरहुल को मनाते हैं. यह त्योहार हर साल चैत्र शुक्ल पक्ष के तृतीया से शुरू होती है और चैत्र पूर्णिमा के दिन संपन्न होती है. 


लोग कुछ इस प्रकार मना रहे हैं पर्व
इस त्योहार में साल अर्थात सखुआ का खास महत्व है. आदिवासियों की परंपरा के अनुसार इस त्योहार के बाद ही नई फसल विशेषकर गेंहू की कटाई शुरू की जाती है. राजधानी रांची समेत यह पर्व पूरे झारखंड में मनाया जाता है. सरहुल पर कोई नृत्य करता नजर आ रहा है तो कोई फूलों को सजा रहा है. रांची की रहने वाली स्नेहा नाम की एक महिला एकदम अलग अंदाज में सरहुल मना रही हैं. स्नेहा ने सरहुल की थीम पर केक बनाया है और उसे गरीब बच्चों के बीच कटवा कर सभी में बांट दिया. 


इस त्योहार को लेकर सरकार के इंतजाम काफी पुख्ता हैं. जगह-जगह पुलिस बल तैनात है और सभी पर निगरानी रखी जा रही है ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना न हो सके. सभी लोग त्योहार का आंनद ले  रहे हैं.


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