रांचीः Mandar By-Election: मांडर उपचुनाव में बीजेपी और कांग्रेस की अग्निपरीक्षा है. बीजेपी ने इस बार मांडर से गंगोत्री कुजूर पर अपना भरोसा जताया है. गंगोत्री कुजूर 2014 में मांडर से ही विधायक चुनी गई थीं. वहीं, गठबंधन से इस बार कांग्रेस प्रत्याशी नेहा तिर्की को मैदान में उतारा है. गठबंधन को उम्मीद है कि बंधु तिर्की की पकड़ वाले इस क्षेत्र में उनकी बेटी को ज्यादा परेशानी नहीं आएगी. कांग्रेस ने मांडर सीट को साल 2000 में जीता था, उसके बाद से यहां के लोगों ने कभी भी कांग्रेस पर भरोसा नहीं जताया है. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

सुरक्षित विधानसभा सीट है मांडर
जनजाति बहुल मांडर (ST) सुरक्षित विधानसभा सीट है. साल 2000 में जब झारखंड अलग नहीं हुआ था उस समय कांग्रेस के देव कुमार धान यहां से विधानसभा पहुंचे थे. उसके बाद मांडर में कोई भी विधानसभा चुनाव कांग्रेस नहीं जीत पाई है. झारखंड बनने के बाद मांडर विधानसभा के लिए जितने भी उपचुनाव हुए सभी के केंद्र में बंधु तिर्की और देव कुमार धान रहे. मांडर विधानसभा के मतदाताओं के लिए पार्टी से ज्यादा प्रत्याशी महत्वपूर्ण होता है. यही वजह है कि अलग अलग पार्टी में रहकर भी बंधु तिर्की और देव कुमार धान जैसे नेता यहां अपनी पकड़ बनाए रखने में सफल रहे. मांडर विधानसभा में 5 प्रखंड आते हैं जिसमें चान्हो, मांडर ,बेड़ो ,इटकी और लापुंग शामिल है.


मांडर में कितने प्रत्याशी ?
मांडर विधानसभा में इस बार कुल 14 प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. जिसमें से 8 निर्दलीय हैं. एआइएमआइएम की तरफ से खड़े उम्मीदवार शिशिर लकड़ा ने अपना नाम वापस ले लिया और देव कुमार धान को अपना समर्थन दे दिया है. वहीं, सीपीआई के सुभाष मुंडा, नवोदय जनतांत्रिक पार्टी के दिनेश उरांव, शिवसेना की रेखा कुमारी और सीपीआइ-एमएल के शिवचरण लोहरा उपचुनाव में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. 


मतदाता और जातीय समीकरण
मांडर विधानसभा क्षेत्र में 3 लाख 54 हजार मतदाता हैं. इनमें लगभग 1 लाख 75 लाख आदिवासी (सरना), 74 हजार हिंदू, 70 हजार मुस्लिम और 30 हजार ईसाई वोटर हैं. 


उपचुनाव के लिए कितने बूथ ?
मांडर विधानसभा उपचुनाव के लिए कुल 435 मतदान केंद्र बनाए गए हैं जिसमें 4 सहायक मतदान केंद्र भी शामिल हैं. मतदान केंद्रों में 145 अति संवेदनशील बूथ है जबकि 216 संवेदनशील बूथ है. 239 बूथ पर वेब कास्टिंग की व्यवस्था की गई है. इसके अलावा 55 वल्नरेबल बूथ बनाए गये हैं.


क्या है मुद्दा ?
मांडर विधानसभा क्षेत्र में विकास सबसे बड़ा मुद्दा है. गरीबी और बढ़ती महंगाई से लोग परेशान हैं. सिंचाई, सड़क और शिक्षा भी इस बार चुनावी मुद्दा है. इसके अलावा पानी, बिजली और बेरोजगारी समेत कई मुद्दे लोगों की जेहन में हैं. 


कब आएगा रिजल्ट ?
मांडर विधानसभा उपचुनाव के का फैसला तो 23 जून को वोटिंग और 26 जून को मतगणना के बाद ही पता चलेगा. लेकिन मांडर के चुनावी इतिहास देखें तो इस बार भी मुकाबला त्रिकोणीय होता दिख रहा है.


यह भी पढ़िएः बिहार के BJP विधायक ललन कुमार के घर चला झारखंड सरकार का बुलडोजर, अतिक्रमण मामले में कार्रवाई