सरकारी स्कॉलरशिप पर उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाएंगे आदिवासी विद्यार्थी, मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा छात्रवृत्ति योजना शुरू
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की कोशिशों से अब राज्य के आदिवासी विद्यार्थियों का विदेश में शिक्षा लेने का सपना पूरा होगा.
Ranchi: झारखंड के 6 आदिवासी समुदाय के बच्चे इस साल उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाएंगे. इनकी पढ़ाई का खर्च झारखंड सरकार उठाएगी. इन 6 बच्चों को मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा पारदेशीय छात्रवृत्ति योजना के तहत पढ़ाई के लिए विदेश भेजा जा रहा है. रांची में योजना से लाभान्वित विद्यार्थियों को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सम्मानित किया.
इंग्लैंड और आयरलैंड में उच्च शिक्षा
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की कोशिशों से अब राज्य के आदिवासी विद्यार्थियों का विदेश में शिक्षा लेने का सपना पूरा होगा. झारखंड सरकार की महत्वाकांक्षी मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा पारदेशीय छात्रवृत्ति योजना के तहत राज्य के 6 आदिवासी विद्यार्थियों का चयन विदेश में पढ़ाई के लिए किया गया है. स्कॉलरशिप के लिए चयनित विद्यार्थी इंग्लैंड और आयरलैंड के विश्वविद्यालयों में उच्च शिक्षा ग्रहण करेंगे.
इसी महीने विदेश रवाना होंगे चयनित विद्यार्थी
स्कॉलरशिप के लिए चयनित विद्यार्थियों में हरक्यूलिस सिंह मुंडा, अजितेश मुर्मू, आकांक्षा मैरी, दिनेश भगत, अंजना प्रतिमा डुंगडुंग और प्रिया मुर्मू शामिल हैं. सभी चयनित विद्यार्थी इसी महीने पढ़ाई के लिए विदेश रवाना होंगे. इस मौके पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और मंत्री चंपई सोरेन की ओर से छात्रवृत्ति योजना के तहत चुने गए विद्यार्थियों के पहले बैच की जानकारी से संबंधित पुस्तिका का भी विमोचन किया गया.
हर साल 10 आदिवासी विद्यार्थियों का चयन
झारखंड सरकार इस स्कॉलरशिप स्कीम के तहत इंग्लैंड और आयरलैंड में उच्च स्तरीय शिक्षा के लिए ट्यूशन फीस सहित अन्य खर्च वहन करेगी. इस योजना के तहत हर साल झारखंड के 10 अनुसूचित जनजाति वर्ग के विद्यार्थियों का चयन किया जाएगा, जो अपनी उच्च शिक्षा के लिए विदेशों में पढ़ने के लिए छात्रवृत्ति प्राप्त करेंगे.
'10 करोड़ के बजट का प्रावधान'
इस मौके पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा की सरकार का लक्ष्य 10 बच्चों के चयन का था, लेकिन अब आने वाले दिनों में 10 से अधिक बच्चों का चयन कर उन्हें विदेश में उच्च शिक्षा देने का अवसर दिया जाएगा. इसके लिए 10 करोड़ के बजट का प्रावधान किया गया है. बजट में बचने वाली राशि का समायोजन अगले वित्तीय वर्ष में विभाग करेगा, ताकि अधिक से अधिक छात्रों को विदेश में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का अवसर मिल सके.
'आदिवासी वर्ग शैक्षणिक रूप से पीछे'
मुख्यमंत्री ने कहा की आदिवासी वर्ग शैक्षणिक रूप से पीछे रहे हैं, राज्य सरकार इस पर लगातार मंथन कर रही है कि कैसे वंचित, कमजोर, दलित, पिछड़ा वर्ग की बेहतरी के लिए कार्य किया जाए. मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार राज्य के आंतरिक संसाधनों का उपयोग कर आगे बढ़ेगी. झारखंड का अपने पैरों पर खड़ा होना आवश्यक है, ताकि नई पीढ़ी, नए नजरों से झारखंड को देख सके.
'अन्य वर्गों को भी अवसर देने का विचार'
मुख्यमंत्री ने कहा फिलहाल यह योजना आदिवासी समुदाय के छात्रों को उच्च शिक्षा का अवसर दे रही है, आने वाले समय में अन्य वर्गों के बच्चों को भी अवसर देने पर सरकार विचार करेगी. सरकार ने राज्य में अव्वल आने वाले विद्यार्थियों को भी आर्थिक सहायता पहुंचा रही है, ताकि उनके आगे की पढ़ाई में किसी तरह की बाधा ना आए.
चंपई सोरेन ने जतायी खुशी
वहीं इस मौके पर बोलते हुए झारखंड सरकार के मंत्री चंपई सोरेन ने कहा की उनके लिए यह सुखद क्षण है कि उनके हस्ताक्षर से राज्य के बच्चे उच्च शिक्षा के लिए विदेश जा रहे हैं.
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'झारखंड सरकार शिक्षा के क्षेत्र में गंभीर'
स्कॉलरशिप स्कीम के पहले बैच के चयन को लेकर सत्ता पक्ष बेहद उत्साहित है. झारखंड सरकार के मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने कहा की झारखंड सरकार शिक्षा के क्षेत्र में गंभीर है, और हम आदिवासी छात्र-छात्राओं की उच्च शिक्षा के लिए प्रयत्नशील हैं.सीमित संसाधनों के बावजूद भी राज्य सरकार पढ़ने के लिए 6 बच्चों को विदेश भेज रही है. सरकार आर्थिक रूप से कमजोर लेकिन योग्य लोगों के विदेश जाकर पढ़ाई करने का सपना निश्चित रूप से पूरा करेगी.
'अच्छे काम का हर कोई समर्थन करेगा'
वहीं झारखंड सरकार की ओर से शुरू की गयी स्कॉलरशिप स्कीम को लेकर विपक्ष ने भी खुशी जाहिर की, लेकिन साथ ही सलाह देना भी नहीं भूली की राज्य में भी शिक्षा के स्तर को सुधारे जाने की जरुरत है. बीजेपी विधायक सीपी सिंह के मुताबिक सरकार की ओर से यह अच्छा प्रयास है. सरकार अगर आदिवासी बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाने का काम कर रही है, तो इसमें किसी को कोई दिक्कत नहीं है. अच्छे काम का निश्चित रूप से हर कोई समर्थन ही करेगा.
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'गरीब तबके के बच्चों के लिए भी सोचे सरकार'
वहीं बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी के मुताबिक झारखंड में राज्य सरकार को मेडिकल, इंजीनियरिंग, आईआईएम, आईआईटी, नर्सिंग, पॉलिटेक्निक, पारा मेडिकल में जो गरीब तबके के बच्चे पढना चाहते हैं, और जिनके अंदर प्रतिभा है, सरकार को उनकी पढ़ाई का खर्च भी उठाना चाहिए.
जयपाल सिंह मुंडा के नाम पर योजना
बता दें की झारखंड से ऑक्सफॉर्ड पहुंचने वाले राज्य के मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा पहले विद्यार्थी थे, जिनके नाम पर हेमंत सरकार ने मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा पारदेशीय छात्रवृत्ति योजना की शुरुआत की है. जयपाल सिंह मुंडा ने ना सिर्फ ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में उच्च शिक्षा ग्रहण की बल्कि संविधान निर्माण में भी भूमिका निभाई थी.
(इनपुट: कामरान)