दुमका:Hostage: दुमका जिला से रोजी रोटी की तलाश में तमिलनाड़ु गए मजदूरों बंधक बनाए जाने का मामला सामने आया है. जिसके बाद बंधक बनाए गए मजदूरों  को परिजनों ने दुमका पुलिस से उन्हें रिहा कराने की गुहार लगाई. पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेते हुए तुरंत कार्रवाई की और बंधक बनाए गए मजदूरों को छुड़ा लिया गया. 


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बंधक बनी लड़की ने भेजा मैसेज
पूरा मामला दुमका जिले के जरमुंडी थाना क्षेत्र का है. दरअसल, थाना क्षेत्र के 5 महिला और 3 पुरुष मजदूर कुछ दिन पहले बिस्कुट फैक्ट्री में काम करने केरल गए थे.  वहां कुछ दिन उन लोगों ने काम भी किया फिर सभी मजदूरों को वहां से दूसरी जगह भेज दिया गया. जहां इन सभी का मोबाइल और आधार कार्ड छीनकर बंधक बना लिया गया है. परिजनों को इस बारे में जब पता चला तब जरमुंडी थाना में लिखित आवेदन दिया. आवेदन कर्ता ने कहा कि बंधक बनी एक लड़की ने यह मैसेज हमें भेजा है. 


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परिजनों को सौंपा
पुलिस ने इस आवेदन पर त्वरित कार्रवाई शुरू की और वहां से आए मैसेज का नंबर का लोकेशन लिया गया तो वह तमिलनाडु का था.  दुमका अहतू थाना प्रभारी श्वेता कुमारी ने तमिलनाडु पुलिस को सारी बातों की जानकारी दी. तमिलनाडु पुलिस ने भी इस मामले को गंभीरता से लिया और मौके पर जाकर सभी को छुड़ाया. बंधक बनाए गए मजदूरों का यह रेस्क्यू तमिलनाडु के पलानी जिले से हुई है. सभी मजदूरों को पुलिस और एक एनजीओ की मदद से ट्रेन से धनबाद भेजा गया. सभी मजदूर धनबाद से दुमका आ गए हैं. तमिलनाडु से दुमका पहुंची सुनीता किस्कू जिसने बंधक होने का मैसेज भेजा था , उसने बताया कि हमें काफी प्रताड़ित किया जा रहा था. न खाने को मिलता था, न हमें बाथरूम जाने दिया जाता था. कुछ दिन हम लोगों से ईट भट्टे पर भी काम कराया गया और जब हम वापस घर आना चाहते थे तो वे लोग रुपए की मांग कर रहे थे. किसी तरह हमने यह मैसेज अपने परिजनों को पहुंचाया है और तब जाकर दुमका पुलिस की मदद से हम वापस आ पाए. इस पूरे मामले पर दुमका एसडीपीओ नूर मुस्तफा ने कहा कि जैसे हमें यह जानकारी मिली कि दुमका के कुछ मजदूर बंधक बने हुए हैं , हमने तत्परता दिखाई. जिसके चलते हम 4 दिनों के अंदर उन्हें वापस दुमका ला पाने में हम सफल रहे. इन सभी को उनके परिजनों को सौंपा गया है.