खूंटी: इस बार का वेलेंनटाइन डे ढ़ुकु समाज के लोगों के लिए बेहद खास रहा. दरअसल पिछले कई सालों से चले आ रहे पुराने रिश्तों को नाम मिला. समाज में इज्जत मिली, साथ ही कानून में हक भी मिला.  


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50 जोड़ियां शादी के बंधन में बंधी
खूंटी के बिरसा महाविद्यालय स्थित फुटबॉल मैदान में शादी समारोह का आयोजन हुआ. जहां कई सालों से साथ रह रहे ढ़ुकु जोड़ियां शादी के पवित्र बंधन में बंधी. बता दें कि 50 जोड़ियां अपने बच्चों को साथ लेकर शादी समारोह में शामिल हुई थीं. शादी के बाद ये जोड़ियां खुश और उत्साहित नजर आईं. दरअसल समाज में ढ़ुकु को इज्जत नहीं मिलती है और न ही इनके बच्चों को कानून में कोई हक मिलता है.  


कौन होते हैं ढ़ुकु?
ढ़ुकु समाज की बात करें तो 'ढ़ुकु' शब्द 'ढ़ुकना' से आया है. जिसका मतलब घर में प्रवेश करना होता है.आदिवासी समाज में कोई भी महिला बिना शादी के किसी के घर में रहती है तो उसे 'ढ़ुकु' या 'ढ़ुकनी' महिला कहा जाता है. झारखंड में सिमडेगा, खूंटी, गुमला, घाघरा, चटकपुर, और मनातू आदि जिलों में ढ़ुकु समुदाय के लोग रहते हैं. कभी गरीबी तो कभी कुछ और दूसरे कारणों की वजह से ढ़ुकु समुदाय के लोग शादी नहीं कर पाते.


अधिकारियों के साथ लोग बने साक्षी
शादी समारोह का ये आयोजन CMPDI रांची के CSR फंड से किया गया. सहयोगी निमित्त संस्था के द्वारा आयोजित इस सामूहिक विवाह कार्यक्रम में डालसा के अध्यक्ष न्यायाधीश सत्य प्रकाश, उपायुक्त शशि रंजन और CMPDI  के अधिकारियों सहित अन्य लोग इस विवाह के साक्षी बने.


सरकारी योजनाओं का मिलेगा लाभ
अच्छी बात ये है कि अब ये जोड़ियां सरकारी योजनाओं का लाभ भी उठा पाएंगी. वहीं जिस शादी के लिए बहुत अधिक रुपये खर्च होते थे, पूरे गांव को भोज कराया जाता था वो मात्र 25 सौ रुपये में संपन्न हो गई.


(इनपुट -ब्रजेश)