कैमूर: Kaimur News: बिहार के कैमूर जिले के मनरेगा कार्यालय भभुआ से चलाई जा रही पोखर खुदाई में भयंकर घालमेल किया जा रहा है. अभी डीहरमा गांव में बिना काम कराए निजी पोखर से 1 लाख 45 हजार रुपए अवैध निकाले जाने के मामले में मनरेगा के पीओ, पीआरएस और जेई से स्पष्टीकरण मांगा ही गया था. तभी भभुआ प्रखंड के मरीचा गांव के ग्रामीणों ने डीडीसी को आवेदन देकर गुहार लगाई है कि 10 लाख रुपए की लागत से पोखर से मिट्टी खुदाई के नाम पर योजना खोला गया है. 6 इंच भी मिट्टी की कटाई नहीं हुई है और अवैध तरीके से ढाई लाख से अधिक भुगतान कर दिया गया है. ना तो धरातल पर कोई कार्य योजना का बोर्ड है और ना ही ढाई लाख की मिट्टी दिखाई दे रही है. 


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यहां तक की इसी पोखर पर 4 साल पहले 10 लाख रुपए की लागत से मनरेगा से ही पोखर से मिट्टी कटाव का योजना पास हुआ था और कार्य के बाद भुगतान भी दिखाया गया है. फिर उसी तालाब में 4 साल में ही दूसरी योजना खोल कर इसमें अधिकारी द्वारा काफी लूट खसोट मचाया गया है. इसकी जांच कराई जाए. पदाधिकारी ने कहा कि जितना पैसा निकासी किया गया उतना कार्य हुआ है. मैंने धरातल पर जांच भी किया है. अब जांच रिपोर्ट में ही खुलासा होगा कि ग्रामीण सही कह रहे हैं या पदाधिकारी. लेकिन धरातल पर पहुंची मीडिया की टीम को भी ढाई लाख रुपए निकासी से संबंधित कार्य कहीं दिखाई नहीं दी. ग्रामीणों ने भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई की मांग की है.


जी मीडिया से खास बातचीत में ग्रामीण कमलेश सिंह और लालजी सिंह बताते हैं कि मरीचा गांव में मनरेगा से पोखरा में मिट्टी खुदाई का कार्य किया जा रहा है. जिसकी लागत लगभग 10 लाख रुपए है. वित्तीय वर्ष 18-19 में इसी पोखर का प्राक्कलन 10 लाख रुपए का बना था. जिसका अंतिम भुगतान 20 मार्च 2020 तक किया गया है. मात्र 4 सालों के अंदर ही दोबारा 10 लाख का प्राक्कलन बनाया गया है और खुदाई कार्य दिखाया जा रहा है. जो कि मनरेगा एक्ट में 5 साल के अंदर एक ही जगह दूसरी योजना चलना नहीं है. कैसे यह योजना दोबारा खोला यह तो जांच का विषय है. 


वहीं उन्होंने आगे बताया कि इसमें लगभग 3 लाख रुपए की निकासी दिखाई जा रही है, लेकिन धरातल पर देखा जा सकता है 6 इंच भी खुदाई नहीं हुई है और ढाई लाख से ऊपर निकासी कर ली गई है. यहां पर कहीं भी बोर्ड नहीं लगाया गया है. हम लोग चाहते हैं कि इस पर जांच कर कार्रवाई की जाए. हमलोग द्वारा डीडीसी को आवेदन दिया गया है. गांव का यह प्रसिद्ध पोखरा है. पहले जमाने में लोग इसी पोखरा के पानी से खाना भी बनाया करते थे. आज समरसेबल हो गया, लेकिन अधिकारियों के मिली भगत से बिना काम कराए भारी लूट मचा हुआ है. ऐसे भ्रष्ट अधिकारी पर कार्रवाई होनी चाहिए.


मनरेगा पदाधिकारी भभुआ संतोष कुमार बताते हैं कि इस योजना में वर्क हुआ है. जिसका प्राक्कलन बनाया गया था. मैं भी जाकर जांच किया था, कार्य दिखाई दिया है. बिना रिकॉर्ड देखे बिना बताना मुश्किल है कि कितना का प्राक्कलन बना था. कब से चालू हुआ है और कितना भुगतान हुआ है. पोखरा के मिट्टी खुदाई का कार्य चल रहा है. अभी बारिश की वजह से फिलहाल बंद है. अगर ग्राम योजना किसी योजना को लेता है तो 5 साल के अंदर भी दोबारा इस योजना को खोला जा सकता है.
इनपुट- मुकुल जायसवाल


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