नई दिल्लीः बीजेपी से निलंबित नेता कीर्ति आजाद ने कांग्रेस ज्वाइन करने का फैसला किया है. बताया जा रहा है कि वह 15 फरवरी को दिल्ली में बीजेपी की सदस्यता छोड़कर कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करेंगे. वहीं, कांग्रेस में शामिल होने के बाद महागठबंधन में गणित बिगड़ने के कयास लगाए जा रहे हैं. वहीं, माना जा रहा है कि कीर्ति आजाद के लिए भी कांग्रेस में राह आसान नहीं होगा.


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कीर्ति आजाद के लिए सबसे पहले कांग्रेस में कद को लेकर खींचतान शुरू हो सकती है. कीर्ति आजाद ने कांग्रेस में शामिल होने से पहले ही दरभंगा से चुनाव लड़ने का फैसला कर चुके हैं. वहीं, उन्होंने कहा है कि वह कांग्रेस में शामिल होने के बाद दरभंगा में चुनाव लड़ने की पूरी रणनीति तैयार करेंगे.


हालांकि प्रदेश कांग्रेस के नेताओं का कहना है कि अभी सीटों को लेकर तय नहीं हुआ है. कौन कहां से चुनाव लड़ेंगे इसका फैसला अभी नहीं किया गया है. सीटों को देखते हुए तय किया जाएगा कौन कहां से चुनाव लड़ेंगे. ऐसे में कीर्ति आजाद के लिए दरभंगा से चुनाव लड़ना चुनौती हो सकती है.


वहीं, महागठबंधन में भी कीर्ति आजाद की वजह से गणित बिगड़ने के कयास लगाए जा रहे हैं. हाल ही में महागठबंधन में वीआईपी पार्टी के प्रमुख सनऑफ मल्लाह मुकेश सहनी ने समर्थन दिया था. वहीं, आरजेडी ने मुकेश सहनी को महागठबंधन में शामिल किया था. जिसके बाद मुकेश सहनी ने अपने गृह क्षेत्र दरभंगा से चुनाव लड़ने का दावा ठोका था.


मुकेश सहनी ने सीटों को लेकर और चुनाव लड़ने के लिए आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव से मिलन के लिए रांची रिम्स भी पहुंचे थे. उन्होंने कहा था कि दरभंगा से चुनाव लड़ने के लिए लालू यादव से आर्शिवाद लेकर आया हूं. उन्होंने अपने चुनावी क्षेत्र में माछ भात कार्यक्रम कर लोगों को जोड़ने का काम भी शुरू कर दिया है. ऐसे में दरभंगा सीट पर चुनाव लड़ने के लिए महागठबंधन में खींचतान होना निश्चित हैं.


हालांकि कीर्ति आजाद का इस सीट पर दावा करना इसलिए भी बनता है कि उन्होंने तीन बार इस सीट से चुनाव जीता है. लेकिन अगर आरजेडी अगर मुकेश सहनी के पक्ष में होगी तो ऐसे में कांग्रेस और कीर्ति आजाद दोनों के लिए मुश्किलें बढ़ सकती है.



वहीं, बिहार कांग्रेस के नेताओं के लिए कीर्ति आजाद के कद को लेकर खतरा महसूस हो सकता है. हालांकि कांग्रेस नेता उनका पार्टी में स्वागत कर रहे हैं लेकिन कीर्ति आजाद के आने के बाद उन्हें अगर पार्टी की बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई तो प्रदेश कांग्रेस में पुराने लोगों में निराशा हो सकती है. वहीं, कांग्रेस में पहले ही नए लोगों को जोड़ने के बाद पराने नेताओं में निराशा की बात कही जा रही है. ऐसे में देखना होगा कि कीर्ति आजाद के लिए कांग्रेस में राह कितना आसान होगा.