Kishanganj Lok Sabha Seat: लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण के लिए कल यानी शुक्रवार (26 अप्रैल) को बिहार की भी 5 सीटों के लिए चुनाव होगा. इसमें किशनगंज, कटिहार, भागलपुर, पूर्णिया और बांका शामिल हैं. किशनगंज पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं. यह एकमात्र ऐसी सीट है जहां पिछले चुनाव महागठबंधन को सफलता मिली थी. 2019 की मोदी लहर में भी यहां कांग्रेस के मोहम्मद जावेद को जीत हासिल हुई थी. कांग्रेस ने एक बार फिर से उन पर भरोसा जताया है. वहीं एनडीए की ओर से नीतीश कुमार ने इस बार अपने सिपाही को बदल दिया है. जेडीयू ने इस बार मुजाहिद आलम को मैदान में उतारा है. AIMIM के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरूल ईमान ने मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है. कुल मिलाकर 12 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं, जिनमें कांग्रेस, जेडीयू, AIMIM, बीएसपी, भारतीय समाज पक्ष दल और 7 निर्दलीय उम्मीदवार शामिल हैं.


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सीमांचल के किशनगंज में जहां एक तरफ 68 प्रतिशत आबादी मुसलमानों की है वहीं 32 प्रतिशत के करीब आबादी हिंदूओं की है. मुस्लिम बाहुल्य इस सीट पर 1952 के बादे से अब तक एक बार सिर्फ हिंदू प्रत्याशी को जीत हासिल हुई है. मोदी लहर में जब पूरे बिहार में एनडीए का विजय रथ दौड़ रहा था, तब यहां कांग्रेस के मोहम्मद जावेद ने उस पर लगाम लगा दी. पिछले चुनाव में मोहम्मद जावेद को 367017 यानी 33.32 प्रतिशत मत हासिल हुए थे तो उनके प्रतिद्वंद्वी जेडीयू के सैयद मोहम्मद अशरफ को 332551 यानी 30.19 प्रतिशत वोट मिले थे. इस तरह दोनों के बीच मतों का अंतर केवल 34,466 रहा था. 2014 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम की लहर चल रही थी तब भी यह सीट भाजपा हार गई थी और कांग्रेस के असरारुल हक कासमी को जीत हासिल हुई थी. 


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AIMIM बड़ी तेजी से उभरी है


1999 में सिर्फ एक बार बीजेपी के शाहनवाज हुसैन ने यहां कमल खिलाया था. किशनगंज लोकसभा क्षेत्र में कुल छह विधानसभा सीटें हैं. इसमें से चार किशनगंज में और दो पूर्णिया जिले में आती हैं. दिलचस्प बात ये है कि इस क्षेत्र में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी बड़ी मजबूती के साथ उभरकर सामने आई है. 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में AIMIM ने इस इलाके की 5 सीटें जीती थीं, जिनमें से 4 सीटें तो किशनगंज लोकसभा क्षेत्र में ही आती है. AIMIM के प्रदेश अध्यक्ष अख्तरूल ईमान ने मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है. 


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जातीय और भौगोलिक समीकरण


यहां 68 फीसदी मुस्लिम मतदाता है और 32 फीसदी हिंदू मतदाता हैं. हिंदू में जातीय आधार पर सबसे अधिक यादव हैं. इसके बाद सहनी, पासवान, ब्राह्मण, शर्मा, रविदास और मारवाड़ी वोटरों की संख्या है. मुस्लिम वोटरों की संख्या ज्यादा होने के चलते कोई भी पार्टी यहां से अल्पसंख्यक उम्मीदवार को ही चुनावी मैदान में उतारती है. भौगोलिक स्थिति देखें तो यहां उद्योग, व्यापार, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में संभावनाएं बहुत अधिक है. जिले के पूरब, उत्तर और दक्षिण दिशा से पश्चिम बंगाल की सीमा लगी है. पश्चिम बंगाल का उत्तर दिनाजपुर जिला और दार्जिलिंग जिला की सीमा लगती है. साथ ही बिहार का अररिया और पूर्णिया जिला भी किशनगंज से सटा हुआ है.