साहिबगंज: झारखंड सरकार राज्य के सभी गर्भवती महिलाओं को 108 एंबुलेंस की सुविधा दी है लेकिन साहिबगंज में इस सुविधा सुविधा का लाभ किसी को नहीं मिल पा रहा जिसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है. लोग बॉस के सहारे मरीजों को कई किलोमीटर पैदल चलकर अस्पताल ला रहे हैं जो सरकारी व्यवस्था पर एक बहुत बड़ा सवालिया निशान खड़ा कर रहा है. 


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हालांकि स्वास्थ्य विभाग ने 108 एंबुलेंस व्यवस्था को बहुत ही बेहतर बताया है. लेकिन साहिबगंज जिला के मंडरो प्रखंड के बतौना गांव के निवासी मरांग सोरेन न अपनी गर्भवती पत्नी को प्रसव दर्द की स्थिति में बांस का मचिया बनाकर पैदल कई किलोमीटर पैदल चलकर अस्पताल पहुंचाया. 



महिला का प्रसव तो अस्पताल में हुआ लेकिन प्रसव के दौरान ही बच्चे की मौत हो गई. महिला को घर पहुंचने के बाद फिर से पेट में दर्द की शिकायत हुई और सरकारी मदद के लिए मरांग सोरेन ने कई बार विनती लेकिन उसे एंबुलेंस की व्यवस्था नहीं कराई गई. 


थक हार कर मरांग सोरेन अपने एक साथ मिलकर बांस का मचिया बनाया और कई किलोमीटर दूर अस्पताल लेकर गया. ये घटना सरकारी व्यवस्था की पोल खोलती नजर आ रही है. पहाड़ों पर रहने वाले जितने भी समुदाय हैं उन सभी को आज भी पालकी, खटिया, मचिया में मरीजों को डालकर अस्पताल पहुंचाना पड़ता है.
वहीं, अस्पताल के उपाधीक्षक ने बताया कि साहिबगंज स्वास्थ्य विभाग द्वारा पूर्व में पहाड़ी इलाकों के लिए पालकी योजना का प्रस्ताव सरकार को भेजा गया था जिस पर कई स्तर पर स्वीकृति भी प्रदान हुई थी लेकिन मान में पालकी योजना का क्या स्थिति है इसकी जानकारी नहीं है.