Bihar News: नीतीश कुमार की नई टीम में हेर-फेर, ललन सिंह और उनके करीबियों को नहीं मिली कोई जगह
Bihar News : नीतीश कुमार ने अपनी टीम में जातियों का समर्पण बनाए रखने के लिए सावधानी बरती है. इस बार की टीम में जातियों का समीकरण भी देखा गया है. नई टीम में महत्वपूर्ण पदों पर बनाए गए नेताओं में से कुछ नाम हैं जैसे कि राष्ट्रीय महासचिवों में राजीव रंजन प्रसाद, विद्या सागर निषाद, अनूप पटेल, दयानंद राय संजय कुमार और मोहम्मद निसार आदि है.
पटना: जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने पार्टी के राष्ट्रीय पदाधिकारियों की नई टीम बनाई है. इसमें कई बड़े नेताओं को छुट्टी दी गई है और कुछ को नए पदों में स्थान दिया गया है. पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह को कोई पद नहीं मिला और उनके साथ कई अन्य नेताओं को भी टीम से बाहर किया गया है. नीतीश कुमार ने अपनी नई टीम में 22 लोगों को शामिल किया है, जिसमें एक उपाध्यक्ष, एक सलाहकार, एक कोषाध्यक्ष, 11 महासचिव, 6 सचिव और एक प्रवक्ता हैं.
बता दें कि नीतीश कुमार की नई टीम में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बने राज्यसभा सांसद वशिष्ठ नारायण सिंह और राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष बने आलोक कुमार सुमन और पूर्व विधायक राजीव रंजन को राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया गया है, जबकि के.सी त्यागी को राजनीतिक सलाहकार और राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया गया है. नीतीश कुमार ने अपनी टीम में जातियों का समर्पण बनाए रखने के लिए सावधानी बरती है. इस बार की टीम में जातियों का समीकरण भी देखा गया है. नई टीम में महत्वपूर्ण पदों पर बनाए गए नेताओं में से कुछ नाम हैं जैसे कि राष्ट्रीय महासचिवों में राजीव रंजन प्रसाद, विद्या सागर निषाद, अनूप पटेल, दयानंद राय संजय कुमार और मोहम्मद निसार आदि है. इसके अलावा कुछ पूर्व सांसदों को भी नए दायरे मिले हैं जैसे कि राज्यसभा सांसद रामनाथ ठाकुर, अली अशरफ फातमी, आफाक अहमद, भगवान सिंह कुशवाहा, कहकशा परवीन, रामसेवक सिंह और राज सिंह मान है.
पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह की टीम के कई नेता इस बार की टीम में जगह नहीं पा सके हैं. इसमें सांसद संतोष कुशवाहा, गिरधारी यादव, चंदेश्वर चंद्रवंशी भी शामिल हैं, जो पहले ललन सिंह की टीम में थे. यूपी के पूर्व सांसद धनंजय सिंह को भी इस बार की टीम में जगह नहीं मिली है. ललन सिंह के समीपी नेता के रूप में जाने जाते धनंजय सिंह को भी टीम से बाहर किया गया है. नीतीश कुमार ने इस बार 11 महासचिवों को टीम में शामिल किया है, जबकि ललन सिंह की टीम में 22 महासचिव थे. इससे साफ है कि इस बार की टीम छोटी है और ज्यादा संघटित है.
इस पुरानी और नई टीम के बीच के विभिन्नताओं ने दिखाया कि नीतीश कुमार ने टीम को नए दिशा-निर्देश और स्थिति में लाने का प्रयास किया है. इसमें जातियों का संवेदनशील समीकरण और प्रदेशों के बीच सामंजस्यपूर्ण वितरण का ध्यान रखा गया है.
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