पटना : बिहार की राजनीति में बड़े बदलाव के साथ-साथ राजद की राजनीति में भी बदलाव नजर आ रहा है. राजद अब अपनी छवि को बदलकर दिखाने की कोशिश कर रही है. नीतीश कुमार की सत्ता बदलने की खबरें आई हैं, जिसके बाद राजद विधायकों की गोलबंदी हुई, लेकिन सभी ने अनुशासनप्रियता को आत्मसात किया. नीतीश कुमार के पाला बदलने के बाद राबड़ी आवास पर सन्नाटा पसरा रहा, जो बहुत आश्चर्यजनक है.


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राजद जो कभी ‘तेल पिलावन और लाठी घुमावन’पार्टी के रूप में जानी जाती थी, उसकी छवि अब बदल रही है. लालू-राबड़ी के समय राजद कार्यकर्ताओं का हुजूम देखा जाता था, लेकिन अब ऐसा नहीं है. इसी बार नीतीश कुमार ने महागठबंधन छोड़कर एनडीए में जाने का फैसला किया, तो राजद के कई नेताओं ने राजभवन के आगे धरना तक दिया था.


तेजस्वी यादव ने सत्ता जाए या न जाए, वे जनता के बीच में जाएंगे, यह कहते हुए स्पष्ट किया है. इससे स्पष्ट है कि तेजस्वी के नेतृत्व में राजद में कार्यकर्ताओं का संयमित व्यवहार सच महीने में यह जबरदस्त बदलाव है. राजनीति के जानकार कहते हैं कि तेजस्वी यादव अभी 33 साल के हैं, और उन्होंने इस बात को समझ भी लिया है.


तेजस्वी यादव की प्रोग्रेसिव राजनीति को लेकर आगे बढ़ने की रणनीति पर चलना चाहते हैं. राजद ने तेजस्वी को लेकर बिहार भर में मुहिम शुरू की है और इसमें आगे लिखा है- धन्यवाद तेजस्वी 4 लाख नौकरियां देने, देश में पहली बार जातीय गणना कराने, 75 फीसदी आरक्षण बढ़ाने, शिक्षक कर्मियों को राज्यकर्मी का दर्जा देने, गुणवतापूर्ण चिकित्सा सुविधा देने, खेलों में मेडल लाओ और नौकरी पाओ योजना लागू करने के लिए है.


तेजस्वी यादव की लाइन बिल्कुल ही सीधी है. तेजस्वी बार-बार इसलिए माफी मांग रहे हैं कि बीते लोकसभा चुनाव में उन्होंने सवर्ण आरक्षण का विरोध किया. वे यह भी समझते हैं कि वे लालू नहीं हैं जो जनता किसी भी स्थिति में उनके पीछे लाठी उठाकर चल देगी, जमाना अब बदल गया है. तेजस्वी यादव की हाथों में जब से पार्टी संचालन की कमान आई है तब से ही उन्होंने आरजेडी को यादव-मुस्लिम टैग से बाहर निकालकर सर्वसमाज की पार्टी बनाने की कवायद की है.


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