Female Candidates In Lok Sabha Chunav: बिहार में महिलाओं का वोट प्रतिशत तो लगतार बढ़ रहा है, लेकिन उनका प्रतिनिधित्व घटता जा रहा है. बिहार में सभी दल महिलाओं को टिकट देने में हिचकिचाते हुए नजर आते हैं. इस बार के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने तो आधी आबादी को पूरी तरह से निराश किया है. पार्टी ने रविवार (24 मार्च) को अपनी सभी 17 सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया. पार्टी की ओर से एक भी महिला को टिकट नहीं दिया गया है. वहीं नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने अपने हिस्से की 16 सीटों में सिर्फ 2 महिलाओं को टिकट दिया है. एनडीए में शामिल उपेंद्र कुशवाहा की रालोमो और जीतन राम मांझी की हम को एक-एक सीट मिली है. अपनी-अपनी सीट से दोनों खुद ही चुनाव लड़ने की योजना बना रहे हैं. सिर्फ चिराग पासवान की 5 सीटों पर कैंडिडेट घोषित नहीं किए गए. 


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पिछले चुनाव का रिजल्ट


चिराग की पार्टी से वैशाली सीट से सांसद वीणा देवी का नाम फाइनल माना जा रहा है. इस तरह से एनडीए की ओर से अभी तक सिर्फ 3 महिलाओं को टिकट मिलता दिख रहा है. वहीं महागठबंधन में अभी तक सीटों का बंटवारा ही नहीं हो सका है. वैसे पिछले चुनाव में भी एनडीए की ओर से सिर्फ 3 महिलाओं को टिकट मिला था. जबकि महागठबंधन की ओर से 6 महिलाएं मैदान में थीं. राजद ने नवादा से विभा देवी, पाटलिपुत्र से मीसा भारती और सिवान से हिना शहाब को मैदान में उतारा था. तो कांग्रेस ने मुंगेर से नीलम देवी, सासाराम से मीरा कुमार और सुपौल से रंजीत रंजन को टिकट दिया गया था. एनडीए की ओर से बीजेपी ने शिवहर से रमा देवी, जेडीयू ने सिवान से कविता सिंह और लोजपा ने वैशाली से वीणा देवी को मैदान में उतारा था.


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विधानसभा चुनाव की स्थिति


संयोग ऐसा हुआ कि महागठबंधन की सभी 6 महिला प्रत्याशी हार गईं और एनडीए की सभी 3 महिला प्रत्याशियों के सिर विजयश्री का ताज सजा. बिहार विधानसभा चुनाव में भी महिलाओं का वोट प्रतिशत बढ़ा, लेकिन उनका प्रतिनिधित्व घट गया. 2015 की तुलना में 2020 में आधी आबादी की तीन सीटें घट गईं. 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में 370 महिलाओं ने चुनाव लड़ा था, जो पिछले चुनाव की तुलना में लगभग 36 प्रतिशत अधिक था. इनमें से केवल 7 प्रतिशत या 26 महिलाएं ही इस बार विधान सभा में पहुंच सकी थीं. जबकि 2015 में यह आंकड़ा 10 प्रतिशत (273 में से 28) था.


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महिलाओं की पहली पसंद है NDA!


सियासी पंडितों के मुताबिक, महिला वोटर को एनडीए का सीक्रेट वोटर माना जाता है. पीएम मोदी हों या सीएम नीतीश कुमार, दोनों की जीत में महिला वोटर का अच्छा-खासा योगदान रहता है. पिछले कुछ चुनावों में ये बात साबित भी हुई है. इसी सीक्रेट वोटबैंक ने 2020 में हुए विधानसभा चुनाव में महागठबंधन का गेम बिगाड़ दिया और तेजस्वी यादव के हाथ में सत्ता आते-आते रह गई थी. चुनाव परिणाम आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिलाओं की भागीदारी का उल्लेख किया था और कहा था कि उन्होंने इस चुनाव में शांत मतदाता की भूमिका निभाई. भारतीय जनता पार्टी वैसे तो आधी आबादी की हिस्सेदारी देने का अभियान ही चला रही है, लेकिन हकीकत में ऐसा नहीं है. जब टिकट देने की बात आती है तो बीजेपी ही सबसे ज्यादा कंजूसी दिखाती है.