Bihar Politics: राजद सुप्रीमो लालू यादव को झटका देने के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अब पीएम मोदी से मिलने वाले हैं. वह आज (बुधवार, 7 फरवरी) को दिल्ली रवाना होंगे. फ्लोर टेस्ट की अग्निपरीक्षा से पहले मुख्यमंत्री का दिल्ली दौरा काफी अहम माना जा रहा है, क्योंकि मुख्यमंत्री के लिए अपनों को संभालना अब बड़ा कठिन नजर आ रहा है. फ्लोर टेस्ट से पहले राजद की ओर से लगातार खेला किए जाने की धमकी दी जा रही है. मंत्रिमंडल में हिस्सेदारी को लेकर जीतन राम मांझी रूठे हुए हैं तो वहीं जेडीयू में टूट होने का खतरा मंडरा रहा है. ऐसी परिस्थितियों में नीतीश कुमार सीधे पीएम मोदी की शरण में जाना चाहते हैं और उनसे रिलैक्स रहने वाला मंत्र लेने वाले हैं.


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नीतीश के दिल्ली दौरे के मायने


दरअसल, बिहार में नई सरकार तो बन गई है लेकिन मंत्रिमंडल विस्तार से लेकर विभागों के बंटवारे तक, कुछ मुद्दों पर सहमति नहीं बन पा रही है. नई सरकार में जब विभागों का बंटवारा होने में बात नहीं बन पा रही थी तो मुख्यमंत्री ने जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष ललन सिंह को दूत बनाकर बीजेपी आलाकमान के पास भेजा था. ललन सिंह के पटना लौटते ही विभागों का बंटवारा संभव हो सका था. इसके बाद भी कुछ मुद्दों लेकर पेंच फंसा हुआ है. मुख्यमंत्री अपने दिल्ली दौरे पर बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व संग मिलकर इसका समाधान निकालने की कोशिश करेंगे. 


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दूर होंगे पुराने गिले-शिकवे


यही वजह है कि पीएम मोदी के अलावा नीतीश कुमार बीजेपी के चुनावी चाणक्य यानी केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी मुलाकात करने वाले हैं. बता दें कि नीतीश पिछले महीने की 28 तारीख को ही बीजेपी संग मिलकर नई सरकार बनाई है. इससे पहले वह बीजेपी के खिलाफ विपक्षी एकता के सूत्रधार बने फिर रहे थे.  बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व से मिलकर मुख्यमंत्री पुराने गिले-शिकवे को दूर करने का प्रयास करेंगे और लोकसभा चुनाव में सीट शेयरिंग को लेकर चर्चा कर सकते हैं. वहीं मुख्यमंत्री से पहले बिहार के दोनों डिप्टी सीएम (सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा) भी दिल्ली दरबार में हाजिरी लगाकर लौटे हैं. 


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मांझी को सम्राट चौधरी की चेतावनी


दिल्ली में पीएम मोदी से मुलाकात के बाद से सम्राट चौधरी और विजय चौधरी में नया उत्साह देखने को मिल रहा है. पटना वापस पहुंचते ही दोनों ने बहुमत साबित करने का दावा किया. फ्लोर टेस्ट को लेकर चौधरी ने मीडिया से कहा कि बीजेपी और जेडीयू के पास पर्याप्त संख्याबल है. उनका ये बयान जीतन राम मांझी के लिए संकेत है. अगर मांझी नहीं माने तो उन्हें एनडीए से बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है. वैसे भी नीतीश के आने के बाद एनडीए में अब मांझी की वैल्यू कम हो चुकी है.