Lok Sabha Election 2024: जेडीयू ने टांग अड़ाई तो चिराग पासवान, उपेंद्र कुशवाहा, मांझी और पशुपति के लिए हो जाएगी मुश्किल
Bihar Lok Sabha Election 2024: बिहार में बीजेपी अपनी सीटों से शायद ही कोई समझौता करने जा रही है. वह जो भी समझौता करेगी वह अपनी 17 सीटों को अलग करके करना चाहेगी. इसका कारण यह है कि इस समय की राजनीति में भाजपा को बहुत बड़ी बढ़त हासिल है. अब 40 में से 17 सीटें भाजपा के लिए निकाल दीजिए.
Bihar Lok Sabha Election 2024: एनडीए में चिराग पासवान, उपेंद्र कुशवाहा, जीतनराम मांझी और पशुपति कुमार पारस की चिंता जायज है. नीतीश कुमार के एनडीए में शामिल होने से पहले उनकी भाजपा से जो भी डील हो रही हो, नीतीश कुमार के आने के बाद से सब कुछ नए सिरे से होने वाला है. 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा और जेडीयू दोनों दल 17-17 सीटों पर चुनाव लड़े थे. भाजपा ने 100 प्रतिशत की स्टाइक रेट के साथ पूरी 17 सीटें जीत ली थीं तो जेडीयू ने 16 सीटों पर विजयश्री का आशीर्वाद पाया था. लोजपा 6 सीटों पर मैदान में थी और सभी 6 की 6 सीट उसकी झोली में आ गए थे. लेकिन इस बार के हालात अलग हैं. इस बार बिहार एनडीए में सीट शेयरिंग सबसे टफ टास्क साबित हो सकते हैं और अगर बगावत हुई तो विपक्षी गठबंधन को फायदा भी पहुंचा सकते हैं. इसलिए एनडीए के रणनीतिकार फूंक-फूंककर कदम रख रहे हैं.
चिराग, कुशवाहा, मांझी और पारस को मुश्किल क्यों
दरअसल, इस बात को मानने में कोई संकोच नहीं करना चाहिए कि जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार सबसे टफ बार्गेनर हैं. अगर नीतीश कुमार टफ बार्गेनर नहीं रहते तो 2014 में केवल 2 सीटें जीतने वाली जेडीयू 2019 में 17 सीटों पर मैदान में नहीं होती और 16 में जीत हासिल नहीं कर पाती. सोचिए, 2014 से 2019 के बीच में नीतीश कुमार के नेतृत्व में जेडीयू ने 2 से 16 तक का फासला तय किया. मतलब 8 गुना ज्यादा. अब अगर नीतीश कुमार पीएम मोदी और अमित शाह की भाजपा से इतनी टफ बार्गेनिंग कर सकते हैं तो 2024 में वे चिराग पासवान, उपेंद्र कुशवाहा, जीतनराम मांझी और पशुपति कुमार पारस के लिए नरम रुख क्यों अपनाएंगे. 2019 के अनुभव को देखते हुए ऐसा बिल्कुल नहीं लगता कि नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू बिहार में 1ृ7 या 16 सीटों से कम पर चुनाव लड़ने को राजी हो पाएगी.
जेडीयू 16 या 17 सीटों पर चुनाव लड़ी तो...
भारतीय जनता पार्टी अपनी सीटों से शायद ही बिहार में कोई समझौता करने जा रही है. वह जो भी समझौता करेगी वह अपनी 17 सीटों को अलग करके करना चाहेगी. इसका कारण यह है कि इस समय की राजनीति में भाजपा को बहुत बड़ी बढ़त हासिल है. अब 40 में से 17 सीटें भाजपा के लिए निकाल दीजिए. बची 33 सीटों में से अगर नीतीश कुमार 16 या 17 सीटों से कम पर राजी नहीं हुए तो बाकी बची 6 या 7 सीटें. अब 6 या 7 सीटों में चिराग पासवान और पशुपति कुमार पारस, उपेंद्र कुशवाह और जीतनराम मांझी को एडजस्ट करना होगा. चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा की पिछले कुछ समय से लंबी चुप्पी का राज यही है. इन दोनों नेताओं को डर है कि नीतीश कुमार पुरानी अदावत भी उनसे चुकता कर सकते हैं और इस तरह लोजपा और रालोमो का आधार बेस वोट बैंक प्रभावित हो सकता है.
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पहले आई थी ये खबर
नीतीश कुमार की जेडीयू जब 28 जनवरी 2024 को एनडीए का फिर से हिस्सा बनी थी तब ये कहा जा रहा था कि जेडीयू बिहार में 13 या 14 सीटों पर ही चुनाव लड़ेगी और बाकी सीटें उसे झारखंड और अरुणाचल प्रदेश में दिया जा सकता है. लेकिन जैसे जैसे चुनाव की घड़ी नजदीक आ रही है, एनडीए के घटक दलों में तनातनी का माहौल देखा जा रहा है. पीएम मोदी की पिछली तीन रैलियों में न तो चिराग पासवान नजर आए थे और न ही उपेंद्र कुशवाहा. यह भी पता नहीं चल पाया था कि इन दोनों नेताओं को रैली के लिए निमंत्रण दिया गया था या नहीं या फिर इन दोनों ने निमंत्रण के बाद भी रैली में जाना मुफीद नहीं समझा. जो भी कुल मिलाकर बिहार एनडीए की आने वाली रणनीति और राजनीति दिलचस्प मोड़ ले सकती है.