Jharkhand Politics: बिहार में तकरीबन 17 महीने के वनवास के बाद एक बार फिर से सत्ता में बीजेपी की वापसी हो चुकी है. बिहार की सत्ता में वापसी करने के बाद अब झारखंड का राजनीतिक पारा भी चढ़ा हुआ है. झारखंड के नए मुख्यमंत्री चंपई सोरेन को आज (सोमवार, 5 फरवरी) को विधानसभा में बहुमत साबित करना है. फ्लोर टेस्ट से पहले मुख्यमंत्री चंपई सोरेन को क्रॉस वोटिंग का खतरा सता रहा है. विधानसभा का अंकगणित इतना टाइट है कि अगर एक भी विधायक इधर-उधर होता है, तो चंपई सरकार फंस सकती है और कुर्सी बीजेपी के हिस्से में जा सकती है. यही कारण है कि सभी दलों की ओर से अपने विधायकों को शक्ति परीक्षण के वक्त विधानसभा में ही मौजूद रहने का व्हिप जारी किया गया है. 


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BJP करेगी बड़ा खेला?


दरअसल, झारखंड विधानसभा में कुल सदस्यों की संख्या 82 है, जिसमें से एक मनोनीत है. हालांकि एक सीट रिक्त है. यानी कुल 81 में से सरकार बनाने के लिए 41 विधायकों की जरूरत है. मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने राज्यपाल को विधायकों के समर्थन का जो पत्र सौंपा है, उस पर 43 विधायकों के ही हस्ताक्षर हैं. हालांकि, सत्तारूढ़ इंडिया ब्लॉक के पास 48 विधायक हैं. मतलब साफ है कि 5 विधायक मुख्यमंत्री चंपई का समर्थन नहीं कर रहे हैं. बीजेपी को कुर्सी हथियाने के लिए सत्तापक्ष में क्रॉस वोटिंग करानी जरूरी है. यही वजह है कि हेमंत सोरेन ने इस्तीफा देने के बाद अपनी पत्नी कल्पना सोरेन की जगह चंपई को कुर्सी सौंपी है. 


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चंपई को क्रॉस वोटिंग का डर


इससे पहले तक कल्पना के सीएम बनने की अटकलें लगाई जा रही थीं. लेकिन ऐन वक्त पर हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन ने अडंगा लगा दिया था. उन्होंने साफ कहा था कि वह बड़ी बहू हैं, इसलिए उन्हें सीएम बनाना चाहिए. वह कल्पना का समर्थन कतई नहीं करेंगी. इससे जेएमएम में टूट की आशंका पैदा हो गई थी. इसे देखते हुए हेमंत सोरेन को रणनीति बदलनी पड़ी थी. सीता सोरेन अभी भी नाराज बताई जा रही हैं. उनके समर्थक विधायकों की ओर से अब क्रॉस वोटिंग का खतरा है. शायद इसी वजह से फ्लोर टेस्ट से पहले सभी विधायकों की घेराबंदी की गई थी. सत्तापक्ष के 35 विधायकों को हैदराबाद में रोका गया था और उन्हें वहां से कल यानी रविवार रात को ही वापस बुलाया गया है. 


हेमंत सोरेन खुद संभालेंगे कमान?


विधायकों को बहुमत परीक्षण के वक्त ही एक बस से सीधे विधानसभा पहुंचाया जाएगा. फ्लोर टेस्ट के वक्त पूर्व सीएम हेमंत सोरेन भी विधानसभा में मौजूद रहेंगे. बता दें कि सरकार बनाने के लिए 41 विधायकों की जरूरत है. 29 विधायकों के साथ JMM सबसे बड़ी पार्टी है. कांग्रेस के पास 17 विधायक हैं. आरजेडी-सीपीएम के पास एक-एक सीटें हैं. वहीं 26 विधायकों के साथ बीजेपी विधानसभा में दूसरी बड़ी पार्टी है. आजसू के तीन, एनसीपी (अजित पवार गुट) के एक और दो निर्दलीय विधायकों का समर्थन भी बीजेपी के साथ है.


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क्या फिर निर्दलीय बिगाड़ेगा गेम?


बहुमत साबित करने के लिए चंपई सोरेन एक-एक विधायक से संपर्क कर रहे हैं. वहीं जमशेदपुर पूर्वी के निर्दलीय विधायक सरयू राय ने उनको बड़ा झटका दिया है. उन्होंने घोषणा कर डाली है कि वे चंपई सरकार को समर्थन नहीं करेंगे. सरयू राय ने यह भी कहा कि सत्तापक्ष अथवा विपक्ष किसी ने उनसे अपने पक्ष में मतदान के लिए संपर्क भी नहीं किया है. ऐसी स्थिति में वह विश्वास मत पर वोटिंग के दौरान तटस्थ रहेंगे. बरकट्ठा के निर्दलीय विधायक अमित कुमार यादव ने कहा कि उनका वोट राज्य हित में होगा. उन्होंने भी सरकार के विपक्ष में वोट करने की बात कही है.