Bihar Politics: ये लालू यादव का साइड इफेक्ट है या अमित शाह का इफेक्ट, जदयू में ललन सिंह का कद लगातार घटना ही जा रहा है. लोकसभा चुनाव को देखते हुए अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जेडीयू की नई टीम का ऐलान का दिया है. राजनीतिक गलियारों में कहा जाता है कि अमित शाह की कुंडली में शत्रुहंता योग है. इस घटना से ये बात एक बार फिर प्रमाणित होती है. राजनीतिक पंडितों का कहना है कि ललन सिंह का बुरा वक्त उसी समय से शुरू हो गया था, जब उन्होंने लोकसभा में अमित शाह को चुनौती दी थी.


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दरअसल, संसद के मानसून सत्र के दौरान 4 अगस्त 2023 को लोकसभा में दिल्ली पुनर्गठन बिल पर चर्चा चल रही थी. इस बिल पर चर्चा के दौरान ललन सिंह ने अपना आपा खो दिया और बिल का विरोध करते हुए मोदी सरकार को खूब खरी-खोटी सुनाई थी. लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह के साथ ललन सिंह की नोकझोंक भी हुई थी. इस घटना के बाद दिसंबर महीने में ही ललन सिंह की जेडीयू अध्यक्ष पद से विदाई हो गई. अब उनके करीबियों का भी जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है. 


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पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद वशिष्ठ नारायण सिंह को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई है. ललन सिंह के करीबी हर्षवर्धन सिंह की टीम नीतीश से छुट्टी कर दी गई है. इसके अलावा रामप्रीत मंडल, गिरधारी यादव, संतोष कुशवाहा, चंदेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी, दसई चौधरी, मोहम्मद गुलाम रसूल वालियावी, विजय कुमार मांझी, रामकुमार शर्मा, धनंजय सिंह और कमर आलम राष्ट्रीय महासचिव के पद से हटा दिया गया है. टीम ललन सिंह के एमएलसी रविंद्र प्रसाद सिंह और संजय वर्मा को भी नीतीश की टीम से छुट्टी कर दी गई है.


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बता दें कि ललन सिंह पर राजद अध्यक्ष लालू यादव के साथ मिलकर पार्टी तोड़ने के आरोप लगे थे. इन खबरों के सामने आने के बाद ही ललन सिंह ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया था. हालांकि, राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि उन्हें अध्यक्ष पद से हटाया गया था. ललन सिंह को हटाकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पार्टी की कमान अपने हाथों में ली थी. अब नीतीश के एक बार फिर से एनडीए में वापसी की अटकलें लगाई जा रही हैं. कहा जा रहा है कि ललन सिंह के गुट को बाहर करके नीतीश कुमार ने अमित शाह को मैसेज देने का काम दिया है.