जल्द ही भारत की सभी ट्रेनों पर होगा सुरक्षा 'कवच', रेलवे बोर्ड के चेयरमैन ने बताया फुलप्रूफ प्लान
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जल्द ही भारत की सभी ट्रेनों पर होगा सुरक्षा 'कवच', रेलवे बोर्ड के चेयरमैन ने बताया फुलप्रूफ प्लान

Indian Railway Kavach system: रेलवे बोर्ड के चेयरमैन का कहना है कि इस टेक्नोलॉजी से जुड़ी जो भी परेशानी थी, उसको कवच 4.0 में हमने दूर कर दिया है. हमने 10,000 लोकोमोटिव में लोको कवच लगाने का टेंडर दिया हुआ है. एक से डेढ़ साल में लोको कवच लग जाएगा.

जल्द ही भारत की सभी ट्रेनों पर होगा सुरक्षा 'कवच', रेलवे बोर्ड के चेयरमैन ने बताया फुलप्रूफ प्लान

Indian Railway: रेलवे बोर्ड के चेयरमैन सतीश कुमार ने कहा है कि नई दिल्ली-मुंबई और नई दिल्ली-हावड़ा वाले रेलवे ट्रैक पर 2025 तक 'कवच सिस्टम' इंस्टॉल कर लिया जाएगा. न्यूज एजेंसी आईएएनएस से बात करते हुए उन्होंने कहा कि कवच बहुत ही महत्वपूर्ण टेक्नोलॉजी इंप्रूवमेंट रहेगा, जो रेलवे की सुरक्षा के मानक को बहुत ज्यादा बढ़ा देगा. 

उन्होंने आगे कहा कि इस टेक्नोलॉजी से जुड़ी जो भी परेशानी थी, उसको कवच 4.0 में हमने दूर कर दिया है. इससे जुड़े दो महत्वपूर्ण कार्य हैं, जिसमे हर लोको में हमे लोको कवच लगाना है. इसके लिए 10,000 लोकोमोटिव में लोको कवच लगाने का टेंडर दिया हुआ है. एक से डेढ़ साल में लोको कवच लग जाएगा.

2030 तक पूरे भारतीय रेलवे में होगा कवच सिस्टम

सुरक्षा के लिहाज से महत्वपूर्ण माने जाने वाले 'कवच सिस्टम' और भविष्य में आने वाले रेलवे के कई मॉडल पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि साल 2030 तक पूरे भारतीय रेलवे में इसका काम पूरा हो जाएगा.

इसके अलावा ट्रैक पर जो काम करना है, उसमें करीब 3000 किलोमीटर नई दिल्ली-मुंबई और नई दिल्ली-हावड़ा पर पहले से काम चल रहा है. दोनों रूट के ट्रैक का काम दिसंबर 2025 तक पूरा हो जाएगा. 2030 तक पूर्ण रूप से भारतीय रेलवे में कवच सिस्टम को इंस्टॉल कर लिया जाएगा.

वंदे स्लीपर प्रोजेक्ट भी हो चुका है पूरा

उन्होंने कहा रेलवे के जितने भी मॉडल देखने को मिल रहे हैं, उन पर काम चल रहा है. कई प्रोजेक्ट पूरे हो चुके हैं. सभी का सुरक्षा के लिहाज से निरीक्षण किया जाएगा और उसको राष्ट्र के नाम समर्पित किया जाएगा.

रेलवे बोर्ड के चेयरमैन ने यह भी कहा कि वंदे स्लीपर का जो भी प्रोजेक्ट है, वो पूरा हो चुका है. इस पर टेस्टिंग चल रही है. इसके बाद दो महीने तक इसका ट्रायल चलेगा. इसके बाद नौ रैक बनाए जाएंगे और 50 रैक और बनाने का ऑर्डर दिया जाएगा, जो दो-तीन साल में बन जाएंगे.

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