पटना: Bihar News: बिहार में जिस तेजी से सियासी समीकरण बदल रहे हैं. ऐसे में कुछ भी अंदाजा लगाना मुश्किल है कि 15 जनवरी के बाद बिहार में किस तरह का सियासी भूचाल आने वाला है. दरअसल राम मंदिर जैसे मुद्दे पर जिस तरह से प्रखर विरोध राजद के नेताओं के द्वारा किया जा रहा है. जदयू के नेताओं के द्वारा उतने ही सख्त लहजे में जवाब भी मिल रहा है. महागठबंधन में यह खटपट तो तब से ही शुरू हो गई है जब से नीतीश कुमार के हाथ में जदयू की कमान आई है. वहीं विपक्षी दल भी इस बात का अंदेशा लगा रहे हैं कि बिहार में जल्दी कोई बड़ा सत्ता परिवर्तन का खेल देखने को मिल सकता है. नीतीश कुमार के हाथ में पार्टी की कमान आने के बाद से जैसे लालू यादव और तेजस्वी यादव से नीतीश कुमार की बातचीत लंबे समय तक बंद रही और फिर कुमार से मिलने तेजस्वी पहुंचे थे. कयास तो तभी से लगाए जाने लगे थे कि सबकुछ दोनों दलों के बीच ठीक नहीं है. 


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हालांकि अभी तो केवल कयास ही लगाया जा सकता है कि बिहार में जनवरी का महीना सियासी रूप से दोनों गठबंधन दलों के लिए कितना भारी रह सकता है. दोनों ही इंडी गठबंधन के घटक दलों जदयू और राजद के बीच फिलहाल लोकसभा सीटों के बंटवारे को लेकर किचकिच चल रही है. ऐसे में दोनों दलों के बीच पनपी तल्खी किस रूप में सामने आ जाए इसका अंदाजा लगाना थोड़ा मुश्किल है. 



अब जब इंडिया अलायंस में सबकुछ सही होने का दावा किया जा रहा है उस बीच इस तरह की किचकिच वह भी सीट बंटवारे को लेकर बहुत कुछ कयास लगाने के लिए काफी है. बिहार की 40 लोकसभा सीटों पर जदयू पहले से ही अपने सीटिंग सीटों पर दावा ठोंक चुकी है. राजद भी पिछले लोकसभा में जिसने एक भी सीट हासिल नहीं किए थे उसे भी लगता है कि वह 17 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. ऐसे में जदयू भी एक सीट जिसमें वह दूसरे स्थान पर रही थी उसे भी अपने हिस्से में लेने की जुगत में लगी है. मतलब यहां कांग्रेस सहित अन्य सहयोगियों के लिए मात्र 6 सीटें बची है. 


राजद विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी होने की वजह से अपना दावा लोकसभा सीटों पर मजबूत मान रही है. कांग्रेस यहां 10 सीटों की मांग कर रही है. वहीं सीपीआई (माले) 8 सीटों पर दावा कर रही है. सीपीआई (एम) ने तो अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं. ऐसे में बिहार की 40 लोकसभा सीटों पर अभी तक प्राप्त दावेदारी देखें तो 54 सीटों से ज्यादा का है. वहीं कई सीटें तो ऐसी हैं जिसपर एक से ज्यादा पार्टी दावा ठोंक रही है. 


ऐसे में इंडिया अलायंस के लिए सीट बंटवारा मुसीबत भरा रास्ता होगा. ऐसे में नीतीश कुमार को यह बात भली भांती समझ में आ रही है. वह जल्दी सीट बंटवारे पर लगातार कह रहे हैं. लालू यादव और बिहार के सीएम नीतीश कुमार पर बिहार में सीट बंटवारे की सबसे बड़ी जिम्मेवारी है लेकिन दोनों चुप्पी साधे बैठे हैं. ऐसे में यह चुप्पी प्रदेश में उठने वाले किसी बड़े सियासी तूफान का अंदेशा लेकर आया है. ऐसे में अब यह कहा जाने लगा है कि बिहार में बहुत जल्दी किसी बड़े सिासी उलटफेर को देखना होगा. जो सबको चौंका सकता है. 


तेजस्वी को लालू सीएम बनाना चाहते हैं और उन्हें सीएम बनने के लिए 122 विधायकों का समर्थन चाहिए जबकि राजद के पास अभी विधायकों के समर्थन की संख्या 115 है. ऐसे में लालू यादव का पटना में डटा रहना भी कई संकेत दे रहा है. ऐसे में बिहार में सत्ता परिवर्तन की कोशिश हो और इसकी सूचना नीतीश कुमार के पास नहीं हो ऐसा हो ही नहीं सकता है. नीतीश भी अपने सूचन तंत्र को एक्टिव कर बैठे हुए होंगे. ऐसे में नीतीश कुमार विधानसभा भंग करने की तरफ भी जा सकते हैं ऐसा राजनीति के जानकार मानते हैं ताकि बिहार में लोकसभा चुनाव के साथ ही राज्य का भी चुनाव हो जाए. हालांकि इसको महज कयास ही माना जाना चाहिए क्योंकि बिहार की सियासत में क्या होने वाला है यह तस्वीर तो कुछ दिन बाद ही साफ होने वाली है.