Lalu Yadav Dahi Chura Bhoj: बिहार की राजनीति हमेशा तीज-त्योहारों के इर्द-गिर्द ही चलती है. छठ पूजा में खरना प्रसाद हो या मकर संक्रांति पर दही-चूड़ा भोज या फिर इफ्तार दावत, बिहार के राजनेता इन आयोजनों को कतई नहीं भूलते. प्रदेश की सियासत इन कार्यक्रमों पर ही निर्भर करती है. मकर संक्रांति (15 जनवरी) के मौके पर राजद अध्यक्ष लालू यादव की ओर से राबड़ी आवास पर दही-चूड़ा भोज का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भी शामिल हुए थे. नीतीश के साथ जदयू के पूर्व अध्यक्ष ललन सिंह भी कार्यक्रम में पहुंचे थे. यह आयोजन ऐसे वक्त में हुआ जब नीतीश कुमार इंडी अलायंस से नाराज बताए जा रहे हैं.


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नीतीश कुमार पिछले एक महीने से इंडी गठबंधन से नाराज बताए जा रहे हैं. सियासी गलियारों में चर्चा है कि इंडी अलायंस का संयोजक नहीं बनाने को लेकर लालू से नीतीश से नाराज चल रहे हैं. इसी कारण से ललन सिंह को जेडीयू अध्यक्ष पद से हटाया गया है. इसी के चलते जेडीयू और आरजेडी नेताओं की ओर से एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी का दौर भी देखने को मिल रहा है. कहा जा रहा है कि वह इससे बाहर निकलने का बहाना खोज रहे हैं. राजनीतिक पंडितों ने तो यहां तक कहा है कि खरमास निकल गया है और अब बिहार की राजनीति में नया अध्याय का प्रारंभ होगा. इसी बीच नीतीश ने लालू के दही-चूड़ा भोज में शामिल होकर फिर से सभी को चौंका दिया. 


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RJD विधायक के बयान से सियासी पारा चढ़ा


नीतीश ने तकरीबन 90 दिन बाद राबड़ी आवास जाकर लालू से मुलाकात की थी. इस दौरान खास बात ये रही है कि उनके साथ ललन सिंह भी मौजूद थे. जबकि हाल ही में उन्हें लालू यादव से करीबी रखने के कारण अध्यक्ष की कुर्सी से उतारा गया था. लालू-नीतीश की मुलाकात से दोनों दलों के कार्यकर्ताओं तक सबकुछ सामान्य होने का मैसेज जाता, इससे पहले ही राजद विधायक भाई वीरेंद्र ने रायता फैला दिया. इसी कार्यक्रम में राजद विधायक ने पत्रकारों से कहा कि लालू यादव के आशीर्वाद के कारण ही नीतीश कुमार मुख्यमंत्री हैं. उनके इस बयान ने सियासत में भूचाल ला दिया है और फिर से गठबंधन के भविष्य पर सवाल उठने लगे हैं. 


BJP के लिए शुभ होगा लालू का 'दही-चूड़ा भोज'? 


राजद विधायक के बयान से लगता है कि एक बार फिर से लालू यादव का दही-चूड़ा भोज बीजेपी के लिए शुभ साबित हो सकता है. दरअसल, 2017 में भी लालू यादव ने दही-चूड़ा भोज का आयोजन किया था और उसके बाद नीतीश कुमार ने पलटी मार दी थी. चारा घोटाले में जमानत पर बाहर आए लालू यादव ने मकर संक्रांति पर दही-चूड़ा भोज आयोजन रखा था. उस वक्त भी महागठबंधन सरकार थी और नीतीश कुमार ही सीएम थे. इस कार्यक्रम में लालू ने नीतीश को दही का टीका लगाकर 2019 लोकसभा चुनाव के लिए हुंकार भरी थी, लेकिन उससे पहले नीतीश ने पाला बदल लिया था. 


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RJD चीफ ने इसबार नहीं की 2017 वाली गलती


2019 लोकसभा चुनाव में नतीजा ये हुआ कि बिहार की 40 में से 39 सीटों पर एनडीए को जीत मिली और लालू की लालटेन पूरी तरह से बुझ गई. सिर्फ एक सीट पर कांग्रेस ने जीत हासिल की थी. मौजूदा हालात में नीतीश कुमार को लेकर फिर चर्चाओं का बाजार गर्म है. कहा जा रहा है कि इंडी अलायंस में मची खींचतान और अपने लिए सम्मानजनक स्थान गठबंधन में नहीं मिल पाने से नीतीश फिर पलटी मार सकते हैं. शायद यही वजह है कि इस बार लालू यादव ने नीतीश को दही का टीका नहीं लगाया.