Mamata Banerjee Vs Nitish Kumar: नीतीश कुमार को पहल करने की सलाह देने वाली ममता बनर्जी ही उनकी राह में कांटें बिछा रही हैं. इंडिया अलायंस की शनिवार को हुई बैठक में सीपीआईएम महासचिव सीताराम येचुरी ने जब नीतीश कुमार को संयोजक बनाए जाने का प्रस्ताव रखा तो ममता ने एक बार फिर से अड़ंगा लगा दिया. बैठक में राहुल गांधी ने कहा कि ममता नहीं चाहती हैं कि नीतीश संयोजक बनें.
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Mamata Banerjee Vs Nitish Kumar: याद करिए, पटना में विपक्षी एकता की बैठक कराने के लिए ममता बनर्जी ने नीतीश कुमार को पहल करने की सलाह दी थी. ममता बनर्जी ने कहा था, पटना आंदोलन की भूमि रही है. नीतीश कुमार जी, आप यहां विपक्षी दलों की बैठक का आयोजन कीजिए. उसके बाद नीतीश कुमार ने इस पर अमल भी किया था. आज नीतीश कुमार की पहल पर विपक्षी गठबंधन का एक खाका खिंच गया है. इंडिया के रूप में एक अच्छा नाम भी मिल गया है. अब नीतीश कुमार को पहल करने की सलाह देने वाली ममता बनर्जी ही उनकी राह में कांटें बिछा रही हैं. इंडिया अलायंस की शनिवार को हुई बैठक में सीपीआईएम महासचिव सीताराम येचुरी ने जब नीतीश कुमार को संयोजक बनाए जाने का प्रस्ताव रखा तो राहुल गांधी ने कहा, ममता बनर्जी नहीं चाहती हैं कि नीतीश कुमार इंडिया के संयोजक बनाए जाएं. इसके बाद नीतीश कुमार ने संयोजक बनने से इनकार कर दिया. फिर क्या था, इंडिया में जेडीयू के बने रहने को लेकर तमाम अटकलें लगाई जाने लगी हैं.
अब सवाल यह है कि ममता बनर्जी ने ऐसा क्यों किया. क्यों उन्होंने नीतीश कुमार को संयोजक बनाए जाने के रास्ते में विघ्न पैदा किया. आखिर क्या है पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री की रणनीति. इन सब सवालों के तार बिहार से ही जुड़े हुए हैं. और बिहार से ही क्यों, खुद नीतीश कुमार से भी जुड़े हुए हैं. नीतीश कुमार के पुराने सहयोगी और चुनावी रणनीतिकार के रूप में ख्याति रखने वाले प्रशांत किशोर के आजकल नीतीश कुमार से अच्छे संबंध नहीं हैं. वे हमेशा नीतीश कुमार को टारगेट पर रखते हैं. अब आप पूछेंगे कि प्रशांत किशोर की नाराजगी और ममता बनर्जी का नीतीश कुमार को संयोजक बनाने की राह में रोड़े बिछाने का क्या संबंध है.
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सारा खेल यही है. चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर का कभी नीतीश कुमार से अच्छा संबंध था. पर अब नहीं है. लेकिन ममता बनर्जी के अलावा कई अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों से उनके आज भी अच्छे संबंध हैं. खबर है कि प्रशांत किशोर ने ममता बनर्जी को सलाह दी थी कि अगर वे नीतीश कुमार को संयोजक बनाने देती हैं तो खुद उनकी दिल्ली की राह मुश्किल हो जाएगी. अगर खुदा ना खास्ता, दिल्ली में त्रिशंकु सरकार बनती है तो ममता बनर्जी के लिए भी अच्छा मौका हो सकता है. लेकिन अगर उन्होंने नीतीश कुमार को संयोजक बनवा दिया तो यह मौका नीतीश कुमार को ही मिल पाएगा.
बताते हैं कि इसके बाद ममता बनर्जी ने नीतीश कुमार को लेकर अपना मूड ही चेंज कर दिया. तभी तो दिल्ली में इंडिया ब्लॉक की 19 दिसंबर को हुई चौथी बैठक में ममता बनर्जी ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को इंडिया ब्लॉक का संयोजक बनाए जाने का प्रस्ताव रखा था, जिसका दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने समर्थन भी किया था. सबसे खास बात यह रही थी कि इंडिया ब्लॉक की चौथी बैठक में नीतीश कुमार के नाम का प्रस्ताव किसी ने भी नहीं रखा और उसी के बाद से शुरू हुआ नीतीश कुमार की नाराजगी का दौर.
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उसके बाद से लेकर आज तक गंगा में बहुत पानी बह चुका है. नीतीश कुमार ने ललन सिंह को हटाकर जेडीयू अध्यक्षी संभाल ली है और उसके बाद से कांग्रेस और राजद सतर्क हो गई हैं. नीतीश कुमार के पाला बदलने को लेकर भी अटकलों का बाजार गर्म हो गया है. 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होनी है. अधिकांश विपक्षी दलों ने इस कार्यक्रम के लिए मिले निमंत्रण को ठुकरा दिया है. अब देखना है कि नीतीश कुमार 22 जनवरी को अयोध्या जाते हैं या नहीं. अगर जाते हैं तो यह विपक्ष के लिए और भी बड़ा झटका होगा.