Chirag Paswan News: बिहार में एनडीए के अंदर सीट शेयरिंग का कोई फॉर्मूला सेट होता नजर नहीं आ रहा है. सीट बंटवारे को लेकर जब भी बात होती है तो 'एक अनार-सौ बीमार' वाली कहावत चरित्रार्थ हो जाती है. ये मूसीबत भी बीजेपी ने खुद ही पैदा की है. दरअसल, नीतीश कुमार की गैरमौजूदगी में बीजेपी ने बिहार में तमाम छोटे दलों को अपने साथ मिलाकर अपना कुनबा बड़ा करने का जो दांव चला था, वही अब उनकी सबसे बड़ी मुसीबत बन चुका है. लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एनडीए में वापसी करके बीजेपी को जितना सुकून दिया, उससे कहीं ज्यादा टेंशन दे दिया है. कुल मिलाकर सभी को साथ लेकर चलते हुए सीट बंटवारे पर बीजेपी की कवायद जहां से शुरू होती है, वापस घूमफिर कर वहीं आ जाती है. इस उधेड़बुन के बीच अब एनडीए में टूट के संकेत मिल रहे हैं. 


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सियासी गलियारों में चर्चा है कि नीतीश कुमार की वापसी हुई है तो चिराग पासवान फिर से दूर जाएंगे. इस चर्चा ने उस वक्त से ज्यादा जोर पकड़ा है जब प्रधानमंत्री मोदी के कार्यक्रम में चिराग शामिल नहीं हुए. प्रधानमंत्री आज (बुधवार, 6 मार्च) एक बार फिर से बिहार दौरे पर आ रहे हैं और सभी की निगाहें चिराग पर टिकी हैं. इस सबके बीच चिराग की पार्टी लोजपा रामविलास ने सीट शेयरिंग को लेकर बड़ी डिमांड कर दी है. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, चिराग की पार्टी ने 6 सीटों पर अपना दावा ठोंका है. लोजपा (रामविलास) के मुख्य प्रवक्ता विनीत सिंह ने साफ कहा है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में हम लोगों ने छह सीटों पर चुनाव लड़ा था और उन सभी छह सीटों पर जीत दर्ज की थी.


इतना ही नहीं उन्होंने आगे कहा कि उनक पार्टी बिहार की सभी 40 सीटों पर मजबूत है और हम लोग सभी 40 सीटों की तैयारी कर रहे हैं. विनीत सिंह का ये बयान एनडीए से दूरी बनाने के संकेत दे रहे हैं. सियासी जानकार इसे प्रेशर पॉलिटिक्स बता रहे हैं. तो कुछ लोगों का कहना है कि विधानसभा चुनाव की तरह चिराग फिर से अकेले मैदान में उतर सकते हैं. चर्चा तो ये भी है कि चिराग और राजद नेता तेजस्वी यादव के बीच भी बातचीत हो रही है. 


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बता दें कि पिछले चुनाव में नीतीश कुमारी की जेडीयू के साथ मिलकर बीजेपी ने 17-17 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 6 सीटें रामविलास पासवान के हिस्से में आई थीं. इनमें से सिर्फ जेडीयू अपनी एक सीट हारी थी. अब परिस्थितियां बहुत बदल चुकी हैं. लोजपा अब दो भागों में विभाजित हो गई. रामविलास के निधन के बाद उनके भाई पशुपति पारस अपने साथ 4 अन्य सांसदों को लेकर अलग हो गए थे और चिराग अकेले रह गए थे. अब लोजपा के दोनों धड़े पिछले चुनाव के आधार पर 6-6 सीटों की डिमांड कर रहे हैं.


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वहीं बीजेपी और जेडीयू भी अपनी सिटिंग सीटों को छोड़ना नहीं चाहते हैं. इन परिस्थितियों में जीतन राम मांझी की हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा को एक भी सीटें देने का विकल्प नहीं बचता है. कुशवाहा 2014 की तरह 4 सीटों की डिमांड कर रहे हैं तो वहीं मांझी गया के साथ एक अन्य सीट भी चाहते हैं.