Bihar NDA Seat Sharing: कहा जा रहा है कि एनडीए में एक महीने पहले तक तो सीट बंटवारे का फॉर्मूला लगभग-लगभग निकल गया था, लेकिन नीतीश कुमार की वापसी से मुद्दा फिर से उलझ गया है. चाचा पशुपति पारस और भतीजे चिराग पासवान के बीच भी हाजीपुर सीट को लेकर जंग चल रही है.
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Bihar NDA Seat Sharing: लोकसभा चुनाव से पहले बिहार का सियासी पारा भले ही सातवें आसमान पर पहुंच गया है. सीट शेयरिंग की तस्वीर भले ही साफ न हुई हो लेकिन पटना की रैली के बाद विपक्षी गठबंधन (INDI Alliance) के तमाम नेताओं ने एक मंच पर आकर बड़ा संदेश जरूर दिया है. वहीं प्रधानमंत्री मोदी के कार्यक्रम में एनडीए के दो साथियों का शामिल नहीं होना, चर्चा का विषय बन गया है. इसके बाद अब एनडीए भी अपनी एकजुटता दिखाने का प्लान तैयार कर रही है. माना जा रहा है कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की रैली में एनडीए अपनी एकजुटता और शक्ति का प्रदर्शन करेगा. राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि एनडीए खेमे में बहुत जल्द ही सीट शेयरिंग का मामला सुलट जाएगा. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, बीजेपी ने चाचा-भतीजे यानी पशुपति पारस और चिराग पासवान में भी सुलह कराने का फॉर्मूला खोज लिया है.
कहा जा रहा है कि एनडीए में एक महीने पहले तक तो सीट बंटवारे का फॉर्मूला लगभग-लगभग निकल गया था, लेकिन नीतीश कुमार की वापसी से मुद्दा फिर से उलझ गया है. पिछली बार बिहार की कुल 40 सीटों में से बीजेपी और जेडीयू ने 17-17 सीटों पर चुनाव लड़ा था. जबकि रामविलास पासवान की पार्टी लोजपा को 6 सीट मिली थीं. इस बार एनडीए में दलों की संख्या बढ़ गई है. लोजपा दो हिस्सों में टूट गई है. तो वहीं उपेंद्र कुशवाहा की रालोमो और जीतन राम मांझी की हम भी एनडीए का हिस्सा है.
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सूत्रों का कहना है कि बीजेपी के रणनीतिकारों ने समझौते का जो प्रस्ताव तैयार किया है, मुमकिन है कि उस पर चाचा पशुपति पारस और भतीजे चिराग पासवान भी राजी हो जाएं. जानकारी के मुताबिक, चिराग पासवान को पीएम मोदी की नजदीकी होने का फायदा मिलने वाला है. बीजेपी की ओर से चिराग पासवान को हाजीपुर सीट देने की बात की जा रही है. बीजेपी रणनीतिकारों के हिसाब से चिराग युवा हैं और रामविलास पासवान के बेटे होने के नाते उन्हें सहानुभूति वोट भी मिल सकता है. वहीं पशुपति को समस्तीपुर सीट मिल सकती है. पारस के लिए समस्तीपुर कोई अनजान सीट भी नहीं है. समस्तीपुर से पशुपति पारस हमेशा अपने भाई रामचंद्र पासवान के लिए रणनीतिकार की भूमिका में निभाते रहे हैं. चिराग पासवान के अनुकूल नहीं चलेंगे तो कभी भी चिराग पासवान महागठबंधन से हाथ मिला सकते हैं और भाजपा ये कभी भी नहीं चाहेगी.