Lok Sabha Election 2024: एक तरफ भाजपा सबका साथ सबका विकास का नारा लगाती है, वहीं लोकसभा चुनाव में वह किसी भी मुस्लिम को टिकट देने से बचती है. विरोधी दल भाजपा पर आरोप लगाते हैं कि वह मुसलमानों के साथ भेदभाव करती है. इसके जवाब में भाजपा सबका साथ सबका विकास का नारा देती है. भाजपा को छोड़ अधिकांश दल लोकसभा, विधानसभा, राज्यसभा और विधान परिषद में मुसलमानों को बतौर प्रत्याशी उतारते हैं. प्रत्याशियों की संख्या कम या अधिक हो सकती है पर बिहार की ही बात करें तो राजद, जेडीयू या फिर कांग्रेस आदि दलों ने मुसलमानों को चुनावों में उतारा. 


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लोकसभा चुनाव 2019 की बात करें तो सबसे अधिक राष्ट्रीय जनता दल ने 40 में से 4 मुसलमान प्रत्याशियों को मौका दिया था. राजद के बाद कांग्रेस ने 2 प्रत्याशी उतारे थे तो जेडीयू और एलजेपी ने भी एक एक मुस्लिम प्रत्याशियों पर दांव लगाया था.


राजद ने जिन चार मुस्लिम प्रत्याशियों को मौका दिया था, उनमें आरा से सरफराज आलम, दरभंगा से अब्दुल बारी सिद्दीकी, शिवहर से सैयद फैसल अली और सिवान से हिना शहाब का नाम शामिल है. कांग्रेस की बात करें तो उसने कटिहार से तारीक अनवर और किशनगंज से मोहम्मद जावेद पर दांव लगाया था. 


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वहीं लोजपा और जेडीयू की बात करें तो रामविलास पासवान की पार्टी ने खगड़िया से चौधरी महबूब अली कैसर तो नीतीश कुमार की पार्टी ने किशनगंज से सैयद मोहम्मद अशरफ को प्रत्याशी बनाया था. 


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गौर करने वाली बात यह है कि किशनगंज सीट ऐसी रही कि वहां मुख्य मुकाबला दो मुस्लिम प्रत्याशियों के बीच था. हालांकि कांग्रेस के डा. मोहम्मद जावेद जेडीयू के सैयद मोहम्मद अशरफ पर भारी पड़े थे.


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डा. मोहम्मद जावेद को 3,67,017 वोट मिले थे तो सैयद मोहम्मद अशरफ को 3,32,551 वोट. दोनों प्रत्याशियों के बीच 34,466 वोटों का अंतर रहा था.