Bihar Politics: बिहार के बाहुबली नेता और जन अधिकार पार्टी के सुप्रीमो पप्पू यादव की पूर्णिया महारैली में जनसैलाब देखने को मिला. इतनी भीड़ को देखकर विपक्षी गठबंधन INDIA के नेता भी हैरान हो गए होंगे. इस महारैली के बाद चर्चा है कि पप्पू यादव को इंडी अलायंस में एंट्री हो सकती है. सूत्रों से मुताबिक, पप्पू यादव ने प्रणाम पूर्णिया रैली के जरिए महागठबंधन को अपनी ताकत का एहसास करा दिया है. कहा जा रहा है कि जल्द ही वह अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय करा सकते हैं. हालांकि, ऐसा तभी संभव होगा जब कांग्रेस की ओर से उन्हें पूर्णिया सीट से टिकट देने का वादा किया जाएगा. बता दें कि पप्पू यादव की पत्नी रंजीत रंजन कांग्रेस की वरिष्ठ नेता हैं. 


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सियासी जानकारों के मुताबिक, पप्पू यादव की पार्टी का कांग्रेस में विलय पर काफी दिनों से मंथन चल रहा है. कांग्रेस पार्टी की ओर से बातचीत अब फाइनल स्टेज में हैं. अगर लालू यादव की ओर से कांग्रेस को पूर्णिया सीट मिलने का आश्वासन मिल गया तो कांग्रेस वहां से पप्पू यादव को महागठबंधन का साझा उम्मीदवार बना सकती है. वहीं पप्पू यादव की दिली इच्छा भी महागठबंधन में शामिल होने की है. पूर्णिया रैली में उन्होंने साफ कहा कि उनकी दिली इच्छा है कि वे महागठबंधन से चुनाव लड़ें, लेकिन इसके लिए वे पूर्णिया की सीट से समझौता हरगिज नहीं करेंगे. उन्होंने साफ कहा कि अगर पूर्णिया की सीट से महागठबंधन अगर अपना उम्मीदवार उतारता है तो वह हरगिज समझौता नहीं करेंगे और पूर्णिया से ही उम्मीदवारी पेश करेंगे. 


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पूर्णिया सीट का भूगोल


बता दें कि पूर्णिया एक ऐसा जिला जो नेपाल और देश के नॉर्थ ईस्ट के राज्यों से सीधे तौर पर जुड़ता है. वहीं बिहार के कोसी और मिथिलांचल के क्षेत्र को यह सीधे जोड़ता है. यहां की बड़ी आबादी खेती पर निर्भर करती है. यहां पूर्णिया जिले में कुल 7 विधानसभा सीटें हैं. जिसमें से केवल 6 विधानसभा सीट ही पूर्णिया लोकसभा मे पड़ता है. इसका अमौर और बायसी किशनगंज लोकसभा का हिस्सा है. जबकि कटिहार का कोढ़ा विधानसभा पूर्णिया में जुड़ा हुआ है.


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इस सीट के सामाजिक समीकरण


बिहार की यह सबसे पुरानी लोकसभा सीटों में है. यहां से पहले सांसद के रूप में फणि गोपाल सेन रहे हैं. 1996 में यहां से पप्पू यादव एमपी बने. उसके बाद 2004 और 2009 में भाजपा के उदय सिंह यहां से सांसद बने. यहां यादव और मुस्लिम आबादी के हाथ में पूरी तरह से राजनीति को बदलने की ताकत है. वहीं यहां SC-ST और OBC वोटर निर्णायक भूमिका में रहते हैं.