Bihar Politics: संकेतों और प्रतीकों की राजनीति के मास्टर कहे जाने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार सुबह एक बार फिर राजनीतिक पंडितों को चैंकाया. एक तरफ वे वित्त मंत्री को लेकर राजभवन चले गए और दूसरी तरफ उनके एक एमएलसी खालिद अनवर राहुल गांधी की यात्रा में नीतीश कुमार के शामिल होने की खबरों का खंडन कर रहे थे. बताया जाता है कि राजभवन जाने का उनका कार्यक्रम अचानक तय हुआ. इससे पहले वे राज्यपाल के साथ नेताजी सुभाषचंद्र बोस के जन्म जयंती समारोह में मौजूद थे. राजभवन में उनकी राज्यपाल से 40 मिनट तक मुलाकात हुई. बताया जा रहा है कि बजट सत्र को लेकर वे राज्यपाल से चर्चा करने गए थे, लेकिन इस मुलाकात के बहाने राजनीतिक मकसद से भी इनकार नहीं किया जा रहा है.


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नीतीश कुमार के राजभवन जाने से एक दिन पहले कांग्रेस ने दावा किया था कि सीएम नीतीश कुमार राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा में शामिल होने वाले हैं. राहुल गांधी की यह यात्रा बिहार में 30 जनवरी को पहुंचने वाली है. कांग्रेस ने दावा किया था कि नीतीश कुमार राहुल गांधी की यात्रा का स्वागत करने वाले हैं. जेडीयू नेता और एमएलसी खालिद अनवर ने कांग्रेस के इस दावे का खंडन करते हुए मंगलवार को कहा कि जब काग्रेस ने अभी तक औपचारिक आमंत्रण दिया ही नहीं है तो किस आधार पर वे दावा कर रहे हैं कि नीतीश कुमार उनके कार्यक्रम में शामिल होंगे.


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खालिद अनवर ने यह भी कहा कि कांग्रेस ने यह दावा क्यों किया, यह तो वहीं बता सकती है. फिलहाल राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय या़त्रा का बिहार में जेडीयू की ओर से स्वागत करने का कोई कार्यक्रम नहीं है. कुछ जानकारों का कहना है कि संभव है कि नीतीश कुमार बजट सत्र के सिलसिले में राज्यपाल से चर्चा करने राजभवन गए होंगे. आने वाले दिनों में बिहार में बजट पेश किया जाने वाला है और सरकार बजट की तैयारी में जुटी हुई है. उनके साथ वित्त मंत्री विजय चैधरी की मौजूदगी से भी बजट को लेकर चर्चा होने का दावा किया जा रहा है.


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राजनीतिक जानकारों का कहना है कि 2019 के लोकसभा और 2020 के विधानसभा चुनाव में जदयू के विधायक और सांसद राजद और कांग्रेस के खिलाफ चुनाव जीतकर आए थे. उस चुनाव में जेडीयू ने लोकसभा चुनाव में 17 में से 16 सीटें हासिल की थी. बीच में 2022 में नीतीश कुमार ने पाला बदलकर महागठबंधन का दामन थाम लिया. नीतीश कुमार के इस कदम से अब उनके सांसद और विधायक बेचैन हैं. सांसद और विधायकों का कहना है कि अब उनके क्षेत्र में लोगों को जवाब देना भारी पड़ रहा है. नेताओं को लग रहा है कि राजद के साथ लोकसभा चुनाव जीत पाना मुश्किल हो सकता है. नीतीश कुमार को भी लगातार यही फीडबैक मिल रहा है. हो सकता है कि इसी कारण नीतीश कुमार पिछले कुछ दिनों से चैंकाने वाले कदम उठा रहे हैं.