पटना : अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने या न होने को लेकर अधिकांश दलों ने अपनी मंशा जाहिर कर दी है. कोई जा रहा है तो कोई नहीं जा रहा है. जाने वाले खुद को भक्ति से जोड़ रहे हैं और नहीं जाने वाले इसे नरेंद्र मोदी का समारोह बता रहे हैं. इंडिया गठबंधन के अधिकांश दलों के नेता भी इस भव्य और दिव्य आयोजन में शरीक नहीं हो रहे हैं और सभी के पास इसे लेकर अपने अपने तर्क हैं. पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अभी तक इस मसले पर अपना रुख स्पष्ट नहीं किया है. क्या वे अयोध्या में 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होंगे? यह सवाल अभी मौजूं इसलिए है कि कांग्रेस ने जी 20 मीटिंग का भी बहिष्कार किया था पर नीतीश कुमार, ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल आदि नेता वहां शरीक हुए थे. इंडिया ब्लॉक की 19 दिसंबर को दिल्ली में हुई चौथी बैठक के बाद नीतीश कुमार के तेवर बदले हुए हैं. उन्होंने अपनी पार्टी की अध्यक्षी खुद संभाल ली है और उसके बाद से कांग्रेस और राजद की सांसें फूली हुई हैं कि कहीं एक बार फिर नीतीश कुमार पाला बदल न कर लें. इस लिहाज से अयोध्या में उनकी मौजूदगी और गैर मौजूदगी चर्चा का विषय बन सकती है.


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सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर क्या कहा था नीतीश कुमार ने


नीतीश कुमार अयोध्या जाएंगे या नहीं जाएंगे, इस पर विमर्श से पहले यह जान लेते हैं कि राम मंदिर को लेकर नीतीश कुमार का क्या रुख रहा है. 2019 में जब राम मंदिर पर फैसला आया था, तब नीतीश कुमार कहा था— सुप्रीम कोर्ट का आदेश आ चुका है और अब सभी पक्षों को यह फैसला स्वीकार करना चाहिए. हमारी पार्टी का शुरू से स्टैंड रहा है कि सर्वोच्च न्यायालय के फैसले या आम सहमति से इस मामले का हल निकाला जाए. अब सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला दे दिया है तो सबको इसे स्वीकार करना चाहिए और आगे आकर स्वागत भी करना चाहिए. नीतीश कुमार ने तब कहा था, सबको एक दूसरे के प्रति सम्मान का भाव रखना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट का फैसला समाज में प्रेम और भाईचारा बनाए रखने के लिए बहुत ही उपयोगी होगा, यही मेरा विचार है. नीतीश कुमार ने कहा था, सुप्रीम कोर्ट का एकमत से फैसला आया है और पूरी तरह स्पष्ट भी है. इस फैसले के माध्यम से सरकार को कुछ जिम्मेदारियां दी गई हैं. आगे इस मामले में किसी तरह का वाद विवाद नहीं होना चाहिए.


अगर निमंत्रण मिला तो जरूर जाएंगे: केसी त्यागी


अयोध्या जाने या न जाने को लेकर नीतीश कुमार ने अपना मत स्पष्ट नहीं किया है. हालांकि पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी ने स्पष्ट रूप से कहा है कि हमारी पार्टी गठबंधन के अन्य दलों की तरह दुविधा की स्थिति में नहीं है. उन्होंने कहा, सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सरकार की ओर से राम मंदिर का निर्माण कराया गया है. यह किसी दल विशेष का कार्यक्रम नहीं है. अगर इस समारोह के लिए जनता दल यूनाइटेड को आमंत्रित किया जाता है तो पार्टी इसमें जरूर शामिल होगी. उन्होंने यह भी कहा कि अगर आमंत्रित नहीं किया जाता है तो पार्टी अपने समय और गति के अनुसार अयोध्या जाएगी. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा मंदिर बनाकर इसका लाभ उठाना चाहती है, जबकि धर्म का राजनीतिक रूप से इस्तेमाल पूरी तरह गलत है. केसी त्यागी ने कहा, जब मामला कोर्ट में था, तब भी हमने यही कहा था कि या तो आम सहमति से या फिर कोर्ट के फैसले से ही इस मसले को सुलझाया जा सकता है. अब जब मंदिर बनकर तैयार हो गया है तो हम इसका सम्मान करते हैं. 


22 जनवरी को अयोध्या नहीं जाएंगे तो क्या करेंगे 


पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी ने ऐलान कर दिया है कि 22 जनवरी को वह कोलकाता के पास कालीघाट मंदिर जाएंगी और सांप्रदायिक सद्भाव रैली का आयोजन करेंगे. इस रैली में सभी समुदायों के लोग शामिल होने वाले हैं. कांग्रेस नेता राहुल गांधी अभी भारत जोड़ो न्याय यात्रा पर हैं. 22 जनवरी को राहुल गांधी असम में होंगे और वहां उनका एक मंदिर में जाने का प्लान है. 


एनसीपी पवार गुट के नेता शरद पवार का कहना है कि 22 जनवरी को वे अयोध्या नहीं जा पाएंगे लेकिन इस ऐतिहासिक दिन के बाद रामलला का दर्शन करना आसान होगा. तब तक राम मंदिर का निर्माण भी पूरा हो जाएगा. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने भी आमंत्रण तो स्वीकार कर लिया है लेकिन साथ में यह भी कहा है कि इस समारोह के बाद वे परिवार के साथ रामलला का दर्शन करने जाएंगे. 


दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अभी तक तो राम मंदिर का न्यौता नहीं मिला है पर उन्होंने दिल्ली में हर मंगलवार को सुंदरकांड और हनुमान चालीसा जैसे कार्यक्रमों की घोषणा कर दी है. शिवसेना ठाकरे गुट के प्रमुख उद्धव ठाकरे 22 जनवरी को नासिक में कालाराम मंदिर जाकर महाआरती करने वाले हैं. यह मंदिर भगवान राम को समर्पित है. ऐसा माना जाता है कि वनवास के दौरान श्रीराम, लक्ष्मण और सीताजी पंचवटी में रुके थे, जो अब नासिक में पड़ता है. 


नीतीश कुमार के साथ बिहार की सरकार में शामिल राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने तो निमंत्रण को ही ठुकरा दिया है और कहा है कि वे इस आयोजन में शामिल नहीं होंगे. तमिलनाडु की सत्तारूढ़ डीएमके ने तो भाजपा पर चुनाव से पहले लोगों का ध्यान भटकाने के लिए आध्यात्मिक कार्यक्रम को हाईजैक करने का आरोप लगाया है. 


डीएमके ने भी अयोध्या जाने के लिए मिले न्यौते को ठुकरा दिया है. इसके अलावा सीपीआईएम ने भी इस कार्यक्रम में भाग न लेने का ऐलान किया है. ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने अयोध्या के राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के बीच ओडिशा में जगन्नाथ हेरिटेज कॉरिडोर का शुभारंभ किया. माना जा रहा है कि भाजपा के राम मंदिर के मुद्दे के जवाब में नवीन पटनायक ने यह आयोजन किया है.


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