Karpoori Thakur Bharat Ratna: 'सिर मुंडवाते ही ओले पड़ना...', लोकसभा चुनाव से पहले विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. के लिए ये मुहावरा बिल्कुल सटीक बैठता नजर आ रहा है. इंडी अलायंस अभी भी सीट बंटवारे में फंसी हुई है. उधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक के बाद एक ऐसे कदम उठा रहे हैं, जो आने वाले चुनाव को प्रभावित करेंगे. इंडी अलायंस से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बताए चल रहे हैं. इस बीच मोदी सरकार ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जननायक कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने की घोषणा कर दी. पीएम मोदी ने अपने बिहार दौरे से पहले समाजवादियों को बड़ा तोहफा दिया है. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राजद सुप्रीमो लालू यादव भी कर्पूरी ठाकुर को अपना राजनीतिक गुरू मानते हैं. लिहाजा अब सबकी नजरें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर आकर टिक गई हैं. अब सवाल ये है कि क्या नीतीश कुमार भी अब पीएम मोदी को रिटर्न गिफ्ट देंगे?


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कर्पूरी ठाकुर की आज यानी 24 जनवरी को 100वीं जयंती है. जननायक की 100वीं जयंती से ठीक एक दिन पहले यानी 23 जनवरी की शाम को मोदी सरकार की ओर से कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न की घोषणा की. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया सामने आ चुकी है. सीएम नीतीश ने अपने पोस्ट में कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न मिलने की खुशी जाहिर की और पीएम मोदी को धन्यवाद दिया है. मुख्यमंत्री के ट्वीट से विपक्षी गठबंधन की सांसें फूलने लगी हैं. मुख्यमंत्री ने अपने पहले पोस्ट में पीएम मोदी को धन्यवाद देना भूल गए थे. थोड़ी देर बाद उन्होंने उस ट्वीट को डिलीट किया और नया पोस्ट किया. इसमें मुख्यमंत्री ने पीएम मोदी का जिक्र करते हुए उन्हें धन्यवाद दिया.


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नीतीश कुमार के इस कदम को लेकर उनकी बीजेपी से बढ़ती नजदीकियों के कयास लगाए जा रहे हैं. कहा जा रहा है कि उनका ये कदम बीजेपी से नजदीकियों और INDIA से बढ़ती दूरी का संकेत है. राजद अध्यक्ष लालू यादव बड़ी असमंजस में पड़ गए हैं. वो समझ नहीं पा रहे हैं कि कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न मिलने का जश्न मनाएं या मोदी सरकार ने यह काम किया, इसका विरोध करें. लालू ने दावा किया कि उनके प्रयासों की वजह से ही कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न मिल रहा है. उन्होंने लिखा कि मेरे राजनीतिक और वैचारिक गुरु स्व. कर्पूरी ठाकुर जी को भारत रत्न अब से बहुत पहले मिलना चाहिए था. 


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राजद अध्यक्ष ने लिखा कि हमने सदन से लेकर सड़क तक ये आवाज उठायी, लेकिन केंद्र सरकार तब जागी जब बिहार में जातिगत गणना करवाई गई और आरक्षण बढ़ाया गया. उन्होंने कहा कि ये मोदी सरकार ने डर से ये फैसला लिया है. हालांकि, लालू के मुंह से ये बात सामने आ गई कि कर्पूरी ठाकुर को पहले काफी भारत रत्न मिल जाना चाहिए था. अब अपने ही बयान पर लालू यादव घिर चुके हैं क्योंकि मोदी सरकार से पहले कांग्रेस की सरकार थी और उस सरकार के वह भी हिस्सा थे. अब लालू को ये भी बताना चाहिए कि उन्होंने यूपीए सरकार में क्या प्रयास किए थे?