Bihar Politics: लोकसभा चुनाव से पहले बिहार की सत्ता में बीजेपी के वापसी हो चुकी है. बिहार बीजेपी के अध्यक्ष सम्राट चौधरी को उनकी मेहनत के फलस्वरूप डिप्टी सीएम की कुर्सी मिली है. सम्राट चौधरी के उप मुख्यमंत्री बनाने के बाद अब प्रदेश अध्यक्ष के बदलाव की सुगबुगाहट शुरू हो गई है. पार्टी में एक नेता एक पद का नियम लागू होने के कारण माना जा रहा है कि जल्द ही बिहार बीजेपी को नया प्रदेश अध्यक्ष मिल सकता है. जानकारी के मुताबिक बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व एक ऐसे नेता की तलाश में है जो ना सिर्फ जुझारू और आक्रामक छवि का हो, बल्कि जातीय समीकरण को भी दुरुस्त कर सके. 


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बीजेपी में जातीय और क्षेत्रीय समीकरण का विशेष ध्यान रखा जाता है. सम्राट चौधरी को संजय जायसवाल की जगह प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी मिली थी. उनसे पहले केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय के पास ये जिम्मेदारी थी. नित्यानंद राय यादव समाज से आते हैं. तो जायसवाल वैश्य समाज से आते है. वहीं सम्राट चौधरी कुशवाहा जाति से ताल्लुक रखते हैं. नित्यानंद के नेतृत्व में 2019 का लोकसभा चुनाव तो विधानसभा चुनाव 2020 को संजय जायसवाल के नेतृत्व में लड़ा गया था. वहीं सम्राट को नीतीश कुमार के लव-कुश वोटबैंक में सेंधमारी करने के लिए प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था. उन्हें लोकसभा और विधानसभा चुनाव की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. 


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एनडीए सरकार में सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा उप मुख्यमंत्री हैं. दोनो क्रमशः कुशवाहा और भूमिहार जाति से आते हैं. बीजेपी कोटे से मंत्री बने प्रेम कुमार चंद्रवंशी समाज से आते हैं. नंद किशोर यादव को विधानसभा अध्यक्ष बनाया गया है, जो यादव जाति से आते हैं. अनुसूचित जाति से आने वाले किसी नेता को बड़ा दायित्व नहीं मिल सका है. ऐसे में माना जा रहा है कि पार्टी किसी अनुसूचित जाति से आने वाले नेता को अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंप सकती है. हालांकि, कहा तो ये भी जा रहा है कि लोकसभा चुनाव तक पार्टी सम्राट चौधरी को अध्यक्ष पद से हटाने का जोखिम भी नहीं उठाना चाहेगी.