Anand Mohan News: बिहार की सत्ता में बीजेपी की वापसी क्या हुई लगता है कि अब एक बार फिर से बाहुबली नेता आनंद मोहन के सितारे गर्दिश में जाने वाले हैं. आनंद मोहन को एक बार फिर से जेल जाने का डर सताने लगा है. आनंद मोहन की रिहाई को चुनौती देने वाली याचिका पर आज (मंगलवार, 6 फरवरी) को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होने वाली है. दिवंगत डीएम जी. कृष्णैया की पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट में आनंद मोहन की रिहाई को चुनौती दी थी. दरअसल, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में महागठबंधन सरकार ने नियमों में बदलाव करके आनंद मोहन को जेल से बाहर निकाला था. वह डीएम जी. कृष्णैया की हत्या में उम्रकैद की सजा काट रहे थे. 


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लोकसभा चुनाव में राजपूत वोटबैंक को सेट करने के लिए महागठबंधन सरकार ने जेल मैन्युअल के नियमों में बदलाव करके आनंद मोहन के लिए जेल के दरवाजे खोले थे. जातीय गणना की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदेश में राजपूत जाति 3.4505 प्रतिशत है. मोटे तौर पर इस वोटबैंक पर बीजेपी का कब्जा माना जाता है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जब राजद के साथ थे, तो उन्हें बीजेपी से इस वोटबैंक को छीनना था और इसीलिए उन्होंने आनंद मोहन को जेल से बाहर निकालने में दिलचस्पी दिखाई थी. 


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तत्कालीन सरकार के इस निर्णय का उस वक्त काफी विरोध भी हुआ था. तत्कालीन बिहार सरकार की इस कारगुजारी के खिलाफ अब पटना हाईकोर्ट में RIT दाखिल की गई थी जिसमें कहा गया था कि सरकार के इस फैसले से लोक सेवकों और आम जनता का मनोबल गिर रहा है. सेंट्रल आईएएस एसोसिएशन ने भी इस फैसले का विरोध किया था. एसोसिएशन ने एक बयान में कहा कि ड्यूटी पर एक लोक सेवक की हत्या के आरोप में दोषी को कम जघन्य श्रेणी में पुनर्वर्गीकृत नहीं किया जा सकता है. एक मौजूदा वर्गीकरण में संशोधन, जिसके कारण कर्तव्य पर एक लोक सेवक के सजायाफ्ता हत्यारे को रिहा कर दिया गया, न्याय से इनकार करने के समान है.