पटनाः महागठबंधन की सरकार वेंटिलेटर पर चली गई है. पहले नीतीश कुमार का राजद कोटे के तीन मंत्रियों के विभाग बदलना, उसके बाद परिवारवाद पर हमला और फिर लालू प्रसाद यादव की पुत्री रोहिणी आचार्य के तीन ट्वीट से हालात बिगड़ गए हैं. उधर, भाजपा नहीं चाहती कि एनडीए में जेडीयू के आने के बाद एक बार फिर मुख्यमंत्री पद पर नीतीश कुमार विराजमान हों. ऐसे में कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार विधानसभा भंग कर सकते हैं. लेकिन क्या नीतीश कुमार इस समय विधानसभा भंग करने का रिस्क लेना चाहेंगे. खासतौर से तब, जब चुनाव विश्लेष प्रशांत किशोर का दावा है कि इस समय चुनाव होने पर जेडीयू को 5 सीटें भी नहीं आने वाली.


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प्रशांत किशोर ने कहा, आज मैं कैमरे पर कह दे रहा हूं. आज तक मैंने चुनाव को लेकर कोई भी भविष्यवाणी की है, जो शायद ही गलत हुई है. बिहार में लोकसभा चुनाव के नजरिए से मैं आपको कैमरे पर बता रहा हूं कि अगर महागठबंधन में रहकर नीतीश कुमार चुनाव लड़ेंगे तो उनकी पार्टी को केवल 5 सीटें भी नहीं आ पाएंगी. यह बात मैं आज से नहीं, दो महीने पहले से कह रहा हूं. यह बात वे भी समझ रहे हैं कि अगर प्रशांत किशोर कह रहा है तो सही ही होगा. इसलिए जेडीयू में भगदड़ तय है. अब देखना होगा कि भगदड़़ में नेता भागते हैं या फिर नीतीश कुमार खुद ही भाग जाते हैं. कोई भरोसा नहीं है. उनकी यह घबराहट स्वाभाविक रूप से देखी जा रही है. जनता ने उनका साथ छोड़ दिया है.


प्रशांत किशोर ने नीतीश कुमार के परिवारवाद के आरोपों को लेकर कहा, नीतीश कुमार की बातों को आप लोग सीरियस क्यों लेते हैं. वे जब जहां रहते हैं, उसके हिसाब से बात करते हैं. भाजपा के साथ रहते हैं तो परिवारवाद पर हमला बोलते हैं. राजद के साथ रहते हैं तो संप्रदायवाद पर हमला बोलते हैं. प्रशांत किशोर ने कहा, किसी को पता नहीं चलता, यहां तक कि नीतीश कुमार को स्वयं भी नहीं पता होता कि वे कब कहां जाएंगे. 


प्रशांत किशोर ने यह भी कहा कि नीतीश कुमार सामाजिक और राजनीतिक रूप से अपने अंतिम दौर में पहुंच गए हैं. छटपटाहट में कभी दाएं तो कभी बाएं करते हैं. उससे कुछ नहीं होने वाला. अभी चुनाव होने पर उनकी औकात सामने आ जाएगी. जेडीयू को वोट देने वाला कोई बचा ही नहीं है. वे किसी तरह हाथ पांव मारकर निकलने की कोशिश में जुटे हैं.


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