बिहार के लाल यूपी में कर रहे कमाल, संकट के समय सरकारों को याद आते हैं आईपीएस बबलू कुमार
आईपीएस बबलू कुमार... संकट के समय ये सरकारों को याद आते हैं और अपना मिशन पूरा करने के बाद लोकल लेवल पर दादागीरी करने वालों के लिए संकट पैदा कर देते हैं. इन्हें मैन आन द मिशन कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होनी चाहिए.
'हर जगह इत्र ही नहीं महका करते, कभी कभी शख्सियत भी खुशबू दे जाया करते हैं.' आईपीएस अफसर और नोएडा के एसीपी बबलू कुमार पर यह लाइन एकदम फिट बैठती है. 2009 बैच के आईपीएस बबलू कुमार सरकारों के संकटमोचक के रूप में काम करते हैं. आपको ध्यान होगा कि मथुरा के जवाहरबाग कांड के समय इनकी हेलीकॉप्टर लैंडिंग कराई गई थी. तत्कालीन समाजवादी पार्टी की सरकार में सपा नेताओं के तगड़े विरोध के बाद भी मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की सरकार ने बबलू कुमार को मथुरा का एसएसपी बनाकर भेजा था और अपनी पुलिसिया दक्षता से बबलू कुमार ने खुद को साबित भी किया था. मथुरा से पहले आईपीएस बबलू कुमार जालौन में कप्तान के तौर पर कार्यरत थे.
READ ALSO: 'तेजस्वी को ठीक से पढ़ना चाहिए था...', आरक्षण के मुद्दे पर BJP-JDU ने सुना दिया
मथुरा के जवाहर बाग कांड में एक एसपी और इंस्पेक्टर की मौत के बाद पूरे देश की मीडिया सवाल उठा रही थी और राज्य सरकार से लेकर पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों की विफलता को बयां कर रही थी. तब तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को ऐसे युवा अफसर की तलाश थी, जो माहौल को तत्काल काबू में कर सके. उस समय के गृह सचिव और पुलिस महानिदेशक यानी डीजीपी जावेद अहमद ने आईपीएस बबलू कुमार का नाम आगे किया. मथुरा से पहले आईपीएस बबलू कुमार बतौर कप्तान जालौन में अपना जलवा दिखा चुके थे. वहां की स्थानीय नेतागीरी को आईपीएस बबलू ने पूरी तरह कंट्रोल कर दिया था. इसके अलावा शाहजहांपुर में पत्रकार जगेंद्र सिंह की कथित हत्या के मामले के बाद आईपीएस बबलू कुमार को ही वहां का कप्तान बनाया गया था. इसलिए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने मथुरा के लिए आईपीएस बबलू के नाम पर मुहर लगाई और उनकी हेलीकॉप्टर लैंडिंग करवाई थी.
मथुरा के अलावा आईपीएस बबलू कुमार के नाम एक और दंगे को कंट्रोल करने का क्रेडिट जाता है. योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद हुए पहले दंगे से निपटने में आईपीएस बबलू कुमार का अहम योदान है. सहारनपुर के शब्बीरपुर में हुए दंगे में कई गांव चपेट में आ गए थे, जिसको लेकर यूपी की योगी सरकार ने प्रदेश भर में हाई अलर्ट जारी किया था. मेरठ जोन के एडीजी और मुजफ्फरनगर के एसएसपी को वहां कैंप करने को कहा गया था. पूरे पश्चिमी यूपी में जातीय रैली और आंदोलन करने पर रोक लगा दी गई थी. पुलिस प्रशासन की असफलता के बाद शासन की ओर से डीएम के रूप में प्रमोद पांडेय और कप्तान के रूप में आईपीएस बबलू कुमार की वहां तैनाती की गई. आईपीएस बबलू कुमार ने वहां भी बेहतरीन काम किया और दंगे को काबू करके ही माने थे.
READ ALSO: विजय सिन्हा के खोफ का दिख रहा साफ असर, एसपी ने इनरवा थानाध्यक्ष को किया निलंबित
लंबे कद और छोटे हेयर स्टाइल रखने वाले बबलू कुमार की खासियत यह है कि जातियों के आधार पर होने वाली पोस्टिंग में तरजीह नहीं मिलती, लेकिन जब जरूरत होती है तब वे ही सबसे विश्वसनीय अधिकारी साबित होते हैं. आईपीएस बबलू के बारे में कहा जाता है कि वे सुनते सबकी हैं और करते अपने मन की हैं. मूल रूप से बिहार के मधुबनी जिले के रहने वाले बबलू आईआईटी में प्रोफेसर बनना चाहते थे. 12वीं में नवोदय विद्यालय से टॉपर रहे बबलू कुमार समाज के लिए कुछ करना चाहते थे और आईपीएस से बेहतर काम करने वाली जगह उनके लिए दूसरी नहीं हो सकती थी.
मधुबनी के प्रोफेसर रामशरण और माता सीता देवी की संतान बबलू कुमार को अनुशासन में रहना पसंद है. पिता प्रो. रामशरण आरके कॉलेज, मधुबनी में गणित के प्रोफेसर थे. बबलू कुमार पर पढ़ाई को लेकर कोई दबाव नहीं था. माता पिता ने पूरी आजादी दे रखी थी. आईपीएस बबलू के दो बड़े भाइयों में से एक मनोज कुमार रेलवे में स्टेशन मास्टर तो दूसरे भाई डॉ. सर्वेश कुमार पटना में बाल रोग विशेषज्ञ हैं. 2 जून, 1982 को पैदा हुए बबलू कुमार की शादी 5 दिसंबर, 2011 को ज्योत्सना से हुई थी. उनके दो बेटे रियांस और देवांश हैं.
READ ALSO: बेतिया की सड़कों पर फिर बहा खून, बेखौफ अपराधियों ने दवा व्यवसाई को मारी गोली
ट्रेनी आईपीएस के रूप में बबलू कुमार की पहली पोस्टिंग मेरठ में हुई थी और उन्हें खरखौदा थाने का प्रभारी बनाया गया था. वहां उन्होंने 3 महीने काम किया. वहां पोस्टिंग के दौरान एक ऐसी घटना हुई, जिसे आईपीएस बबलू कुमार आज तक नहीं भूले होंगे. एक दिन वह आफिस में बैठे थे कि एक बुजुर्ग महिला प्रार्थना पत्र लेकर आई और कार्यवाही का निवेदन किया. बबलू कुमार ने महिला के निवेदन पर मुंशी को बुलाकर एनसीआर दर्ज करने को कहा और महिला को पानी पिलवाया. उन्होंने एनसीआर की कापी भी महिला को दी. इसके बाद महिला हैरान रह गई और खुश होकर 500 रुपये निकालकर उन्हें देने लगी. बबलू कुमार ने पहले तो रुपये वापस कर दिए और इसे देने का कारण पूछा. इसके बाद महिला ने बताया कि पुलिस अगर काम करती है तो कहते हैं कि पैसे लेती है, लेकिन तुमने काम भी कर दिया और पैसे भी नहीं लिए. इसका मतलब कि लोग गलत प्रचार करते हैं.