Bihar Flood: बिहार में बाढ़ का खतरा एक फिर बढ़ गया है. इसकी वजह है नेपाल में हो रही लगातार बारिश. दरअसल, नेपाल में जब भी भारी बारिश होती है, तब बिहार की बर्बादी शुरू हो जाती है! क्योंकि नेपाल से कोसी नदी में पानी छोड़ा जाता है और नदी का जलस्तर बढ़ जाता है. नदी का पानी आस-पास के इलाकों को अपने चपेट में ले लेता है. इससे स्थानीय लोगों को भारी दिक्कतों को सामना करना पड़ा है. उनके घर से लेकर फसल तक बर्बाद हो जाती है. नेपाल में बारिश से बिहार के मोतिहारी से लेकर मधुबनी समेत कई जिलों में तबाही के आसार दिख रहे है.


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मधुबनी के कई गांव बाढ़ की चपेट में 
नेपाल में भारी बारिश और कोसी बराज से लाखों क्यूसेक पानी डिस्चार्ज से मधुबनी में कोसी नदी का रौद्र रूप देखने को मिल रहा है. मधुबनी के मधेपुर प्रखंड इलाके से गुजरने वाली कोसी नदी उफान पर है. नदी के तटीय इलाकों में कोसी नदी कोहराम मचा रही है. सैकड़ों परिवार घर बार छोड़कर ऊंचे स्थलों पर आश्रय लिए हुए है. हजारों घरों में पानी घुस गया है, जिससे घर का सारा सामान बर्बाद हो गया है. खाने पीने के लिए भी लोगों के पास कुछ नहीं बचा है. कोसी दियारा इलाके के लोग डरे सहमे हैं. उन्हें आशंका है कहीं भीषण तबाही ना झेलना पड़े. 


लोगों की माने तो 56 वर्ष बाद कोसी नदी ऐसा तांडव मचाई है. कोसी नदी का कहर से गढ़गाव, बसीपट्टी ,भरगामा, डारह, भवानीपुर, बकुआ, द्वालख, मेहसा, बेला सहित दर्जनों गांवों पर टूटा है. कोसी दियारा इलाके के हजारों घरों में बाढ़ का पानी घुस गया है. लोग नाव के सहारे घर खाली कर ऊंचे स्थानों पर जा रहे हैं. घर का सामान खाली कर सड़क और ऊंचे स्थानों पर पहुंचा रहे हैं. जिला प्रशासन भी एलर्ट है और डीएम अरविंद कुमार वर्मा लगातार जायजा ले रहे हैं.


सुपौल जिले में कोसी ने मचाया कोहराम, ऊंचे जगहों पर शरण ले रहे लोग
सुपौल जिले में कोसी तटबन्ध के अंदर विरपुर से बकौर तक कोसी ने कोहराम मचा दिया. कोसी के जलस्तर में पिछले दो दिनों में वृद्धि होने के बाद कोसी तटबन्ध के अंदर की स्थिति भयावह हो गयी. जिसके बाद कोसी तटबन्ध के अंदर बाढ़ में फंसे लोग बाहर निकलने की जद्दोजहद में लगे रहे. हालांकि, राहत की बात यह रही कि कोसी के जलस्तर में लगातार कमी हुई है.


सोमवार सुबह आठ बजे कोसी बराज से 2 लाख 54 हजार 385 क्यूसेक पानी का डिस्चार्ज किया गया है, जिसके बाद अब लोगों को राहत की उम्मीद जगी है. आलम यह है कि अब तटबन्ध के अंदर भी पानी धीरे धीरे घटने लगा है. जिससे लोगों की परेशानी कम होने की उम्मीद जगी है. मालूम हो कि विरपुर कोसी बराज से सुपौल जिले की सीमा क्षेत्र बकौर तक कोसी तटबन्ध के अंदर कोसी नदी का पानी फैल जाने के कारण कोसी तटबन्ध के अंदर बसे दर्जनों गांव के लोग बाढ़ से प्रभावित हो गया.


मोतिहारी के ढाका में बाढ़
नेपाल में हुए भारी वर्षा के कारण भारत नेपाल सीमावर्ती इलाकों के ढाका प्रखण्ड के कुछ इलाके में बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया. बता दें कि शनिवार के दोपहर के समय लालबकेया नदी का बांध नेपाल के फतुहा पुल के समीप टूटने के कारण इन क्षेत्रों में तबाही मचाई है. बाढ़ के पानी के कारण किसान का फसल काफी बर्बाद हुआ है. कई घरों में पानी प्रवेश गया. 


इनमें हीरापुर, महंगुआ, वीरता टोला, भवानीपुर बलुआ गुआबारी, गुरहनवा, दोस्तिया, महुआवा, तेल्हारा, जटवलियां समेत दर्जनों गांव में बाढ़ के पानी ने काफी क्षति पहुंचाई है. इधर, गुरहनवा - बलुआ गुआबारी पथ, बैरगनिया-कुंडवा चैनपुर पथ, ढांगरटोली-तेल्हारा पथ समेत छोटी मोटी कई सड़कों पर आवागमन बंद हो गया है. गांव के लोग ऊंचे स्थान पर शरण लिए है जनप्रतिनिधि भी मदद में जुटे है.


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बगहा में उफनाई गंडक नदी
बगहा में उफनाई गंडक नदी अब भारी तबाही मचाने लगी है. निचले इलाकों में बाढ़ तो शहर से लेकर गांव जलमग्न हो गए हैं. वहीं, अब तटबंध टूटने लगे हैं. जिसके बाद अफरा-तफरी मची है. रतवल से चखनी को जोड़ने वाला चम्पारण तटबंध पानी की तेज दबाव के कारण रविवार को टूट गया. जिसके बाद आसपास के गांवों में पानी तेजी से फैलने लगा है. यह चम्पारण तटबंध सिंगाड़ी पिपरिया पंचायत के वार्ड नंबर 15 में पड़ता है. लिहाजा, कार्यों की गुणवत्ता और अनदेखी को लेकर ग्रामीणों नें सवाल खड़े किये हैं. 


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चम्पारण तटबंध के रिंग बांध टूटने से कई इलाकों में बाढ़ का पानी तेजी से फैल रहा है. आलम यह है की आधा दर्जन गांवों समेत NH 727 गोरखपुर बेतिया मुख्य सड़क की ओर भी बहाव होनें की संभावना है. बता दें कि नेपाल के देवघाट से शनिवार को 6 लाख 40 हजार क्यूसेक पानी गंडक नदी में छोड़ा गया था. जो नदी किनारे बसे लोगों के लिए बाढ़ के शक्ल में अब आफत बनकर आई है, क्योंकि बांध टूटने के बाद इस मार्ग पर आवाज़ाही पूरी तरह ठप हो गया है.


बहगा से इमरान अजीज, मधुबनी बिन्दु भूषण ठाकुर, सुपौल से सुभाष चंद्रा, मोतिहारी से पंकज कुमार की रिपोर्ट


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