नई दिल्लीः रांची हाईकोर्ट की ओर से लालू यादव को जमानत नहीं मिलने से जहां एक ओर आरजेडी को झटका लगा है. वहीं, महागठबंधन के दलों में भी मयूषी है. आरजेडी समेत महागठबंधन के नेताओं को विश्वास था कि लालू यादव को जमानत मिल जाएगी. जिसके बाद आगामी चुनाव को लेकर उनकी मुश्किलें आसान हो जाएगी. लेकिन ऐसा नहीं हो सका. अब लालू यादव को जमानत नहीं मिलने से महागठबंधन में मुश्किलें बढ़ सकती है.


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महागठबंधन में सीट शेयरिंग सबसे बड़ा मसला है. महागठबंधन में लालू यादव पर ही सीट शेयरिंग का फैसला टिका है. सीट शेयरिंग को लेकर सभी दलों के नेता लगातार लालू यादव से लगातार मुलाकात कर रहे थे. वहीं, उन्हें उम्मीद थी कि लालू यादव को जमानत मिलने के बाद सारे फैसले आसानी से हो जाएंगे. लेकिन कोर्ट के फैसले ने सभी की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है.


हालांकि महागठबंधन में लालू यादव के बिना चुनाव लड़ने की सारी तैयारी हो चुकी है. लेकिन सीट शेयरिंग का फैसला अब तक नहीं हो पाया है. नेता लगातार मुलाकात कर रहे थे और जमानत का इंतजार कर रहे थे. लेकिन लालू यादव को जमानत न मिलने से आरजेडी समेत महागठबंधन के दल मायूष दिख रहे हैं. इसका असर महागठबंधन पर पड़ना तय है.


वहीं, लालू यादव को जमानत नहीं मिलने के बाद जेडीयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने तंज कसते हुए कहा कि जैसा लालू यादव ने किया है उसकी भरपाई तो करनी ही होगी. उन्होंने जनता का धन अपने लिए भरा है तो उन्हें सजा तो भुगतना ही होगा. इसलिए कोर्ट ने उन्हें जमानत देने से इनकार किया है.


आपको बता दें कि बीते 4 जनवरी को लालू यादव की जमानत याचिका पर सुनवाई की गई थी. जिसके बाद फैसला सुरक्षित रख लिया गया था. माना जा रहा था कि 11 जनवरी को कोर्ट का फैसला आ सकता है, लेकिन कोर्ट ने 10 जनवरी को ही जमानत न देने का फैसला सुनाया है.


लालू यादव की ओर रांची हाईकोर्ट में वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने उनका पक्ष रखा था. बताया जाता है कि उन्होंने लालू यादव की उम्र और बीमारियों का हवाला देते कहा था कि उन्होंने किसी तरह की कॉन्सपिरेसी नहीं की है. इसलिए उन्हें जमानत मिलना चाहिए. वहीं, सीबीआई ने लालू यादव को जमानत न देने की दलील दी थी. सीबीआई की ओर से कहा गया था कि सारे काम लालू यादव के जानकारी में थी इसलिए यह एक तरह की कॉन्सपिरेसी ही है इसलिए उन्हें किसी भी हाल में जमानत नहीं मिलनी चाहिए.